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आधुनिक काल

अनूप अशेष की रचनाएँ

आवाजों के खो जाने का दुख कितना आस-पास की आवाज़ों के खो जाने का दुख कितना। खालीपन कितना-कितना? बाँस-वनों के साँय-साँय सन्नाटों-सा सब डूबा-डूबा, खुद… Read More »अनूप अशेष की रचनाएँ

अनुराधा सिंह की रचनाएँ

क्या सोचती होगी धरती  मैंने कबूतरों से सब कुछ छीन लिया उनका जंगल उनके पेड़ उनके घोंसले उनके वंशज यह आसमान जहाँ खड़ी होकर आँजती… Read More »अनुराधा सिंह की रचनाएँ

अनुराग वत्स की रचनाएँ

निगाह की पहनाई क्या सिर्फ़ तुम्हें आती है  तो तुम सिगरेट इसलिए पीते रहे? हाँ, बिलकुल । हद है !, तब पूरे पागल थे क्या? फ़र्क… Read More »अनुराग वत्स की रचनाएँ

अनुराग अन्वेषी की रचनाएँ

बहुत दिनों बाद बहुत दिनों बाद उठा है कोई शोर कि आदमी भूल जाना चाहता है अपनी वर्जनाओं को जीतना चाहता है नियति की लड़ाई… Read More »अनुराग अन्वेषी की रचनाएँ

अनुभूति गुप्ता की रचनाएँ

कतरा भर धूप मेरे हिस्से की कतरा भर धूप वो भी मित्र छीन ले गया आत्मीय सहयात्री हितैषी मेरा था जो पहले धूर्त अकुलीन हो… Read More »अनुभूति गुप्ता की रचनाएँ

अनुप्रिया की रचनाएँ

पहचान जब होती हूँ पंख उड़ जाते हो थामकर मुझे नीले विस्तार में जब होती हूँ ख़्वाब भर लेते हो अपनी आँखों में जब होती… Read More »अनुप्रिया की रचनाएँ

शशिप्रकाश की रचनाएँ

युद्धबन्दियों का गीत हम समय के युद्धबन्दी हैं युद्ध तो लेकिन अभी हारे नहीं हैं हम । लालिमा है क्षीण पूरब की पर सुबह के… Read More »शशिप्रकाश की रचनाएँ

शशि सहगल की रचनाएँ

गान्धारी-1 मैं नहीं जानती कि मैं तुम्हें कितना चाहती हूं कसमें खाने की उम्र नहीं है मेरी न ही तुम्हारी फिर भी तुम्हें किसी मुसीबत… Read More »शशि सहगल की रचनाएँ

त्रिनेत्र जोशी की रचनाएँ

गर्मियाँ गुमसुम से इस मौसम में जब नहीं आती हवाएँ सूखे होंठों वाली पत्तियाँ बार-बार चोंचें खोलती चिड़ियाएँ हरियाली पर लगी फफूँद कोई भी नहीं… Read More »त्रिनेत्र जोशी की रचनाएँ

त्रिजुगी कौशिक की रचनाएँ

मुनगे का पेड़  घर की बाड़ी में मुनगे क एक पेड़ है वह गाहे-बगाहे की साग प्रसूता के लिए तो पकवान है मकान बनाने के… Read More »त्रिजुगी कौशिक की रचनाएँ