अज़ीज़ क़ैसी की रचनाएँ
अल्फ़-लैला की आख़िरी सुब्ह फ़साना कैसे बढ़े न कोई साहिर-ए-पज़मुर्दा सिन न सौदागर न चीन से कोई आए न बाख़्तर से कोई बलख़ के शहर… Read More »अज़ीज़ क़ैसी की रचनाएँ
अल्फ़-लैला की आख़िरी सुब्ह फ़साना कैसे बढ़े न कोई साहिर-ए-पज़मुर्दा सिन न सौदागर न चीन से कोई आए न बाख़्तर से कोई बलख़ के शहर… Read More »अज़ीज़ क़ैसी की रचनाएँ
चलो ये तो सलीका है बुरे को मत बुरा कहिए चलो ये तो सलीका है बुरे को मत बुरा कहिए मगर उनकी तो ये ज़िद… Read More »अज़ीज़ आज़ाद की रचनाएँ
हर इक फ़नकार ने जो कुछ भी लिक्खा ख़ूब-तर लिक्खा हर इक फ़नकार ने जो कुछ भी लिक्खा ख़ूब-तर लिक्खा हवा ने पानियों पर पानियों… Read More »अज़ीज़ अहमद खाँ शफ़क़ की रचनाएँ
पिता की मृत्यु पर पिता की मृत्यु पर जब खुल कर नही रोया मैं और एकांत में दहाड़ कर कहा मौत से अभी देर से… Read More »अजित की रचनाएँ
मैं तेरा शाहजहाँ तू मेरी मुमताज महल मैं तेरा शाहजहाँ तू मेरी मुमताज महल आ तुझे प्यार की अनमोल निशानी दे दूँ हाय ये नाज़… Read More »अजमल सुल्तानपुरी की रचनाएँ
ग़मों से यूँ वो फ़रार ग़मों से यूँ वो फ़रार इख़्तियार करता था फ़ज़ा में उड़ते परिंदे शुमार करता था बयान करता था दरिया के… Read More »‘अज़हर’ इनायती की रचनाएँ
इश्क़ का राग जो गाना हो मैं उर्दू बोलूं इश्क़ का राग जो गाना हो मैं उर्दू बोलूं किसी रूठे को मनाना हो ,मैं उर्दू… Read More »अजय सहाब की रचनाएँ
पीली धूप माचिस की है तीली धूप, सरसों-सी है पीली धूप। गरम दूध-सी उबल रही है, चूल्हे चढ़ी पतीली धूप। अभी शाम आई थी, डटकर,… Read More »अजय ‘प्रसून’ की रचनाएँ
बंधक सुबहें बंधक सुबहें गिरवी अपनी साँझ दुपहरी है । बड़ी देर तक रात व्यथा से कर सोये संवाद, रोटी की चिंता ने छीना प्रातः… Read More »अजय पाठक की रचनाएँ
रेल चली छुक-छुक रेल चली छुक-छुक,रेल चली छुक-छुक! रेल में थे नाना,साथ लिए खाना।खाना खाया चुप-चुप,रेल चली छुक-छुक! रेल में थी दादी,बिल्कुल सीधी-सादी।देख रही टुक-टुक,रेल… Read More »अजय जनमेजय की रचनाएँ