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आधुनिक काल

रामेश्वर खंडेलवाल ‘तरुण’ की रचनाएँ

कसकर जिया जेठ की जली-सूखी दराड़-खाइर्द्य पपड़ीली धरती अपनी आँतों में जैसे वर्षा का पानी, अबाध रूप से है जज्ब करती- वैसे ही, मैंने भी… Read More »रामेश्वर खंडेलवाल ‘तरुण’ की रचनाएँ

रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’की रचनाएँ

पानी मैं पानी हूँ मैं जीवन हूँ मुझसे सबका नाता । मैं गंगा हूँ , मैं यमुना हूँ तीरथ भी बन जाता । मैं हूँ… Read More »रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’की रचनाएँ

रामावतार यादव ‘शक्र’की रचनाएँ

पंछी बोला -1- संध्या की उदास बेला, सूखे तरुपर पंछी बोला! आँखें खोलीं आज प्रथम, जग का वैभव लख भूला मन! सोचा उसने-”भर दूँ अपने… Read More »रामावतार यादव ‘शक्र’की रचनाएँ

रामावतार त्यागी की रचनाएँ

प्रश्न किया है मेरे मन के मीत ने प्रश्न किया है मेरे मन के मीत ने मेरा और तुम्हारा क्या सम्बन्ध है वैसे तो सम्बन्ध… Read More »रामावतार त्यागी की रचनाएँ

रामावतार चेतन की रचनाएँ

रंग निराला रोटी का पंडित जी ने खाई रोटी उनकी बड़ी हो गई चोटी! लालाजी ने खाई रोटी उनकी तोंद हो गई मोटी! बाबूजी ने… Read More »रामावतार चेतन की रचनाएँ

रामानुज त्रिपाठी की रचनाएँ

शब्द हो गए बहुत दुरूह कंचनमृग के लिए अहेरी यहां रच रहे सौ-सौ ब्यूह। उतर पड़ा परती खेतों में कोई मौसम अनजाना देख भूख का… Read More »रामानुज त्रिपाठी की रचनाएँ

रामानंद ‘दोषी’ की रचनाएँ

मन होता है पारा मन होता है पारा ऐसे देखा नहीं करो ! जाने क्या से क्या कर डाला उलट-पुलट मौसम कभी घाव ज़्यादा दुखता है… Read More »रामानंद ‘दोषी’ की रचनाएँ

रामस्वरूप ‘सिन्दूर’की रचनाएँ

चाहूँ या कि न चाहूँ चाहूँ या कि न चाहूँ बहना ही होगा, स्वर्ण तरी जब उतर गयी मझधार में! एक खीझ ने पतवारों को… Read More »रामस्वरूप ‘सिन्दूर’की रचनाएँ

रामस्वरूप दुबे की रचनाएँ

उड़न खटोला उड़न खटोले पर बैठूँ मैं पंछी-सा बन जाऊँ, बिना पंख उड़ जाऊँ नभ में मन ही मन मुस्काऊँ। दूर गगन से धरती देखूँ… Read More »रामस्वरूप दुबे की रचनाएँ

रामसेवक शर्मा की रचनाएँ

खेल कबड्डी देशी खेल हमारा- खेल कबड्डी का सबसे सस्ता प्यारा खेल कबड्डी का। महँगा क्रिकेट-साथी टेनिस बल्ला है, समझ नहीं आता क्यों इतना हल्ला… Read More »रामसेवक शर्मा की रचनाएँ