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आधुनिक काल

वीरेन डंगवाल की रचनाएँ

अकेला तू तभी तू तभी अकेला है जो बात न ये समझे हैं लोग करोडों इसी देश में तुझ जैसे धरती मिट्टी का ढेर नहीं… Read More »वीरेन डंगवाल की रचनाएँ

वीरेंद्र शर्मा की रचनाएँ

मुन्ना भीग गया बूँदें गिरती बड़ी-बड़ी बूँदों की लग गई झड़ी, गिरती जब करती तड़-तड़ पत्ते करते हैं खड़-खड़। सड़कों पर बहता पानी, बच्चे करते… Read More »वीरेंद्र शर्मा की रचनाएँ

वीरेंद्र मिश्र की रचनाएँ

  पवन सामने है नहीं गुनगुनाना पवन सामने है नहीं गुनगुनाना सुमन ने कहा पर भ्रमर ने न माना गगन से धरा पर सुबह छन… Read More »वीरेंद्र मिश्र की रचनाएँ

वीरेंद्र गोयल की रचनाएँ

नाव में नदी स्मृतियाँ लौटती हैं बार-बार मृतकों की तरह इस जमी बर्फ का क्या करें? रोना हँसने जैसा लगे हँसना रोने जैसा लगे कब… Read More »वीरेंद्र गोयल की रचनाएँ

वीरेंद्र आस्तिक की रचनाएँ

तबियत जो अपनी तबियत को बदल नहीं सकते हम ऐसे शब्दों को जीकर क्या करते नये सूर्य को मिलते हैं फूटे दर्पण नए-नए पाँवों को-… Read More »वीरेंद्र आस्तिक की रचनाएँ

वीरा की रचनाएँ

विश्वास अंधेरी गली पार करते वक़्त एक नन्हा विश्वास हमारी उंगली थामता है और बाद में हम पाते हैं कि हमीं उनकी उंगली थामे हैं।… Read More »वीरा की रचनाएँ

वीनस केसरी की रचनाएँ

इन्तिहा-ए-ज़ुल्म ये है, इन्तिहा कोई नहीं इन्तिहा-ए-ज़ुल्म ये है, इन्तिहा कोई नहीं! घुट गई है हर सदा या बोलता कोई नहीं? बाद-ए- मुद्दत आइना देखा… Read More »वीनस केसरी की रचनाएँ

सुधा गुप्ता की रचनाएँ

सिसकी,प्यास 1-सिसकी बहुत देर रो-रोकर हलकान हो-होकर सो जाए कोई बच्चा काँधे लगकर तो नींद में जैसे बार-बार उसे सिसकी आती है ऐसे मुझे तेरी… Read More »सुधा गुप्ता की रचनाएँ

सुधा ओम ढींगरा की रचनाएँ

तुम्हें क्या याद आया तुम अकारण रो पड़े– हमें तो टूटा सा दिल अपना याद आया, तुम्हें क्या याद आया– तुम अकारण रो पड़े– बारिश… Read More »सुधा ओम ढींगरा की रचनाएँ