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आधुनिक काल

अशोक वाजपेयी की रचनाएँ

अपनी आसन्नप्रसवा माँ के लिए / काँच के टुकड़े  काँच के आसमानी टुकड़े और उन पर बिछलती सूर्य की करुणा तुम उन सबको सहेज लेती… Read More »अशोक वाजपेयी की रचनाएँ

संजीव बख़्शी की रचनाएँ

गरियाबंद  गरियाबंद के तहसील आफ़िस वाले शिवमंदिर में ट्रेज़री का बड़ा बाबू बिना नागा प्रतिदिन एक दिया जलाया करता मेरी स्मृतियों में वह हमेशा वहाँ… Read More »संजीव बख़्शी की रचनाएँ

संजीव ठाकुर की रचनाएँ

समाचार दीखता है खालीपन मन जहां-जहां दौड़ता है दौड़ने से थककर अंधेर शुष्क कोने में एक बूंद पानी की प्यास तक अधूरी रह जाती है,… Read More »संजीव ठाकुर की रचनाएँ

अशोक लव की रचनाएँ

कैसे- कैसे पल डगमगाते पग नन्हें शिशु तुतलाती ध्वनियाँ स्नेह भरी कल-कल बहती नदी अंतर्मन में समा-समा जाती निश्छल मुस्कानें! उफ़! खो गए तुतलाते स्वर… Read More »अशोक लव की रचनाएँ

संजीव कुमार की रचनाएँ

नव संवत्सर कामना शान्त सौम्य सुखकर संवत्सर नित्य नवीन काम्य औ रुचिकर भद्र विचार शील वाहक बन शुभ प्रकाश से भर अंतर्मन। सर्वजगत के मंगल… Read More »संजीव कुमार की रचनाएँ

अशोक रावत की रचनाएँ

हाथ में ख़ंजर रहता है जब देखो तब हाथ में ख़ंजर रहता है, उसके मन में कोइ तो डर रहता है. चलती रहती है हरदम… Read More »अशोक रावत की रचनाएँ

संजय शेफर्ड की रचनाएँ

मुठ्ठी भर लड़ाईयां  जिन पैरों को अथाह दूरी नापनी थी वह वस्तुतः थक चुके थे और मैंने कहीं पढ़ा भी था कि गर सफ़र लम्बा… Read More »संजय शेफर्ड की रचनाएँ

अशोक ‘मिज़ाज’ की रचनाएँ

ख़त की सूरत में मिला था जो वो पहला काग़ज  ख़त की सूरत में मिला था जो वो पहला काग़ज़ रात भर जाग के सीने… Read More »अशोक ‘मिज़ाज’ की रचनाएँ

संजय शाण्डिल्य की रचनाएँ

साबुन साबुन विविध रंगों-गन्धों में उपलब्ध एक सामाजिक वस्तु है आप ज्यों ही फाड़ते हैं रैपर किसी जिन्न की तरह यह पूछ बैठता है हुक़्म… Read More »संजय शाण्डिल्य की रचनाएँ

अशोक भाटिया की रचनाएँ

लिखना लिखना अपने को छीलना है कि भीतर हवा के आने–जाने की खिड़की तो निकल आए लिखना शब्द बीनना है कि भीतरी रोशनी दूसरों तक… Read More »अशोक भाटिया की रचनाएँ