संगीता कुजारा टाक की रचनाएँ
पिता बरसों हो गए / कोशिश जारी है / उसकी तरह बनने की उसकी तरह सोचने की परिवार के लिए, उसीकी तरह कमाऊ और रक्षक… Read More »संगीता कुजारा टाक की रचनाएँ
पिता बरसों हो गए / कोशिश जारी है / उसकी तरह बनने की उसकी तरह सोचने की परिवार के लिए, उसीकी तरह कमाऊ और रक्षक… Read More »संगीता कुजारा टाक की रचनाएँ
. हवा देखी है तुमने? खलिश की इन्तहा देखी है तुमने? निगाहों की खता देखी है तुमने? मेरे सीने का खालीपन पता है? मेरे दिल… Read More »संकल्प शर्मा की रचनाएँ
कारे कजरारे सटकारे घुँघवारे प्यारे कारे कजरारे सटकारे घुँघवारे प्यारे , मणि फणि वारे भोर फबन लौँ ऊटे हैँ । बासे हैँ फुलेल ते नरम… Read More »घासीराम
दोहे सर्व तपै जो रोहिनी, सर्व तपै जो मूर। परिवा तपै जो जेठ की, उपजै सातो तूर॥1॥ शुक्रवार की बादरी, रही सनीचर छाय। तो यों… Read More »घाघ की रचनाएँ
तुम असीम रूप तुम्हारा, गंध तुम्हारी, मेरा तो बस स्पर्श मात्र है लक्ष्य तुम्हारा, प्राप्ति तुम्हारी, मेरा तो संघर्ष मात्र है तुम असीम, मैं क्षुद्र… Read More »घनश्याम चन्द्र गुप्त की रचनाएँ
इन पहाड़ों पर….-1 तवांग के ख़ूबसूरत पहाड़ों से उपजते हुए… सामने पहाड़ दिनभर बादलों के तकिए पर सर रखे ऊँघते हैं और सूरज रखता है… Read More »घनश्याम कुमार ‘देवांश’की रचनाएँ
पहेलियाँ १.तरवर से इक तिरिया उतरी उसने बहुत रिझायाबाप का उससे नाम जो पूछा आधा नाम बतायाआधा नाम पिता पर प्यारा बूझ पहेली मोरीअमीर ख़ुसरो… Read More »अमीर खुसरो की रचनाएँ
आँखें खुली हुई है तो मंज़र भी आँखें खुली हुई है तो मंज़र भी आएगा काँधों पे तेरे सर है तो पत्थर भी आएगा हर… Read More »‘अमीर’ क़ज़लबाश की रचनाएँ
अब इस जहान-ए-बरहना का इस्तिआरा हुआ अब इस जहान-ए-बरहना का इस्तिआरा हुआ मैं ज़िंदगी तिरा इक पैरहन उतारा हुआ सियाह-ख़ून टपकता है लम्हे लम्हे से… Read More »अमीर इमाम की रचनाएँ
अफ़्साना-ए-हयात को दोहरा रहा हूँ मैं अफ़्साना-ए-हयात को दोहरा रहा हूँ मैं यूँ अपनी उम्र-ए-रफ़्ता को लौटा रहा हूँ मैं इक इक क़दम पे दर्स-ए-वफ़ा… Read More »अमीन हज़ीं की रचनाएँ