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अमीन हज़ीं

अमीन हज़ीं की रचनाएँ

अफ़्साना-ए-हयात को दोहरा रहा हूँ मैं  अफ़्साना-ए-हयात को दोहरा रहा हूँ मैं यूँ अपनी उम्र-ए-रफ़्ता को लौटा रहा हूँ मैं इक इक क़दम पे दर्स-ए-वफ़ा… Read More »अमीन हज़ीं की रचनाएँ