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आधुनिक काल

सुधा उपाध्याय की रचनाएँ

मैं हूं, मैं हूं, मैं हूं चौराहों से एक तरफ निकलती संकरी गली में स्थापित कर दी तुमने मेरी प्रतिमा लोग भारी भारी होकर आते… Read More »सुधा उपाध्याय की रचनाएँ

सुदेश कुमार मेहर की रचनाएँ

काश मैं जब तनहा सा रोता हूँ लिपटकर शब के सीने से बिखरने लगते हैं ये अश्क आँखों से करीने से ख़यालों में मिरे तुम… Read More »सुदेश कुमार मेहर की रचनाएँ

सुदीप बनर्जी की रचनाएँ

एक और बच्चा मर गया एक और बच्चा मर गया गिनती में शुमार हुआ तमाम मेहनत से सीखे ककहरे पहाड़े गुना भाग धरे रह गए… Read More »सुदीप बनर्जी की रचनाएँ

सुदर्शन वशिष्ठ की रचनाएँ

आँगन बुहारती औरतें एक औरतें आँगन बुहारती हैं मर्दों के सोये भीतर बुहारना अशकुन है इसलिए मुँह अँधेरे औरतें आँगन बुहारती हैं मर्द सोये रहते… Read More »सुदर्शन वशिष्ठ की रचनाएँ

सुदर्शन फ़ाकिर की रचनाएँ

मशहूर शेर १ ग़म बढे़ आते हैं क़ातिल की निगाहों की तरह तुम छिपा लो मुझे, ऐ दोस्त, गुनाहों की तरह २ जब भी तन्हाई… Read More »सुदर्शन फ़ाकिर की रचनाएँ

सुदर्शन प्रियदर्शिनी की रचनाएँ

अंधेरों के नाम यह रात का बचा खुचा अंधेरा है या मेरे मन का घटाटोप जो खिङकी की चौखट पर जम कर बैठा अन्दर झांक… Read More »सुदर्शन प्रियदर्शिनी की रचनाएँ

सुकीर्ति गुप्ता की रचनाएँ

छत के किसी कोने में छत के किसी कोने में अटकी वह बूंद टीन पर ‘टप्प’ गिरी समय के अंतराल पर गिरना जारी है उसका… Read More »सुकीर्ति गुप्ता की रचनाएँ

सुंदरदास की रचनाएँ

तेल जरै बाती जरै, दीपक जरै न कोइ तेल जरै बाती जरै, दीपक जरै न कोइ। दीपक जरताँ सब कहै, भारी अजरज होइ॥ भारी अचरज… Read More »सुंदरदास की रचनाएँ