इला कुमार की रचनाएँ
कहा था मैंने कहा था मैंने लौटकर कभी न कभी अवश्य आऊंगी किसी गर्म उमस भरी दुपहरिया में ठसाठस भरी बस से उतरकर अपने शहर… Read More »इला कुमार की रचनाएँ
कहा था मैंने कहा था मैंने लौटकर कभी न कभी अवश्य आऊंगी किसी गर्म उमस भरी दुपहरिया में ठसाठस भरी बस से उतरकर अपने शहर… Read More »इला कुमार की रचनाएँ
तैयार रहो देश बदल रहा है तैयार रहो बदलने के लिए रहन-सहन, खान-पान, अपना नाम संस्कृति, सभ्यता, अपनी जाति, धर्म अपने गाँव, शहर का पता… Read More »इरेन्द्र बबुअवा की रचनाएँ
काग़ज़ पे दिल के तेरी यादों का दस्तखत है काग़ज़ पे दिल के तेरी यादों का दस्तखत है चेहरे की सब उदासी इसके ही मारिफत… Read More »इरशाद ख़ान सिकन्दर की रचनाएँ
हर पल की तुम बात न पूछो हर पल की तुम बात न पूछो कैसे गुज़री रात न पूछो बाहर सब-कुछ सूखा-सूखा अन्दर की बरसात… Read More »इरशाद अज़ीज़ की रचनाएँ
होशियारी दिल-ए-नादान बहुत करता है होशियारी दिल-ए-नादान बहुत करता है रंज कम सहता है एलान बहुत करता है रात को जीत तो पाता नहीं लेकिन… Read More »इरफ़ान सिद्दीकी की रचनाएँ
ब-ज़ोम-ए-अक़्ल ये कैसा गुनाह मैं ने किया ब-ज़ोम-ए-अक़्ल ये कैसा गुनाह मैं ने किया इक आईना था उसी को सियाह मैं ने किया ये शहर-ए-कम-नज़राँ… Read More »इरफ़ान सत्तार की रचनाएँ
दिल से लूंगा मैं काम रहबर का दिल से लूंगा मैं काम रहबर का क्या पता चाहिए तेरे घर का हाल लिखता हूं दीद-ए-तर का… Read More »इमाम बख़्श ‘नासिख’ की रचनाएँ
आशना मिलते नहीं अहल-ए-वफ़ा आशना मिलते नहीं अहल-ए-वफ़ा मिलते नहीं शहर है आबाद लेलिन दिल-रुबा मिलते नहीं किससे हम यारी करें किससे निभाएँ दोस्ती सैकड़ों… Read More »इब्राहीम ‘अश्क़’ की रचनाएँ
बिजली का खम्भा वह चलता गया और अंधेरा पाकर चूम लिया बिजली का खम्भा काले लोहे का ठंडापन। क्यों चूमा उसने बिजली के अंधे कंधाबरदार… Read More »इब्बार रब्बी की रचनाएँ
इंशाजी उठो अब कूच करो इंशाजी उठो अब कूच करो इस शहर में दिल को लगाना क्या। वहशी को सुकूं से क्या मतलब जोगी का… Read More »इब्ने इंशा की रचनाएँ