अशोक पांडे की रचनाएँ
मुर्गा बूढ़ा निकला दो सौ रुपये की शराब का मजा बिगड़ कर रह गया मुर्गा बूढ़ा निकला ढ़ेर सारे प्याज लहसुन और मसालों में भूनकर… Read More »अशोक पांडे की रचनाएँ
मुर्गा बूढ़ा निकला दो सौ रुपये की शराब का मजा बिगड़ कर रह गया मुर्गा बूढ़ा निकला ढ़ेर सारे प्याज लहसुन और मसालों में भूनकर… Read More »अशोक पांडे की रचनाएँ
कई सूरज कई महताब रक्खे कई सूरज कई महताब रक्खे तेरी आँखों में अपने ख्वाब रक्खे हरीफों से भी हमने गुफ्तगू में अवध के सब… Read More »संजय मिश्रा ‘शौक’ की रचनाएँ
इंसान ही था वह सफ़दर हाश्मी के लिए एक इंसान ही था वह हमारे बीच हमारी ही तरह हँसते हुए गुनगुनाते हुए लगाते हुए ठहाके… Read More »अशोक तिवारी की रचनाएँ
कैसे लिखूँ तेरे आवन के गीत पतझड़ के गीत, सावन के गीत कैसे लिखूँ तेरे आवन के गीत। उपवन के गीत, अभिनव के गीत कैसे… Read More »संजय तिवारी की रचनाएँ
ससुर जी उवाच डरते झिझकते सहमते सकुचाते हम अपने होने वाले ससुर जी के पास आए, बहुत कुछ कहना चाहते थे पर कुछ बोल ही… Read More »अशोक चक्रधर की रचनाएँ
मरने के बाद मेरी अस्थियाँ गंगा में विसर्जित कर देना और राख थोड़ी बिखरा देना हवाई जहाज़ से हिमालय की चोटियों पर और थोड़ी कन्याकुमारी… Read More »संजय चतुर्वेदी की रचनाएँ
हमारे पास एक दिन जब हमारे पास एक दिन जब केवल दुःखों की दुनिया बच जाएगी हम सोचेंगे अपने तमाम अच्छे-बुरे विशेषणों के साथ उनके… Read More »संजय कुमार सिंह की रचनाएँ
मुझे नीली स्याही लगी एक दवात छोड़कर जाने दो हत्यायों और हादसों के अभ्यस्त क़स्बे के बीचपुरातात्विक खुदाई मेंटेराकोटा ईंटों से बनाएक पुराना विहार झाँकने… Read More »संजय कुमार शांडिल्य की रचनाएँ
इक कहानी तुम्हें मैं सुनाता रहूँ इक कहानी तुम्हें मैं सुनाता रहूँ । प्यार की हर निशानी दिखाता रहूँ। मुस्कुराती रहो गीत बन तुम मेरा… Read More »संजय कुमार गिरि की रचनाएँ
सलवा जुडूम के दरवाज़े से (1) जंगल के बीच निर्वात तो नहीं था सघनता के मध्य समय दूर तक बिखरा था और उसी से सामना… Read More »संजय अलंग की रचनाएँ