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‘कैफ़’ भोपाली की रचनाएँ

दाग दुनिया ने दिए जख़्म ज़माने से मिले दाग दुनिया ने दिए जख़्म ज़माने से मिले हम को तोहफे ये तुम्हें दोस्त बनाने से मिले… Read More »‘कैफ़’ भोपाली की रचनाएँ

वली ‘उज़लत’ की रचनाएँ

आज दिल बे-क़रार है मेरा आज दिल बे-क़रार है मेरा किस के पहलू में यार है मेरा क्यूँ न उश्शाक़ पर होऊँ मंसूर जूँ सिपंद… Read More »वली ‘उज़लत’ की रचनाएँ

केशवदास की रचनाएँ

‘केसव’ चौंकति सी चितवै ‘केसव’ चौंकति सी चितवै, छिति पाँ धरिकै तरकै तकि छाँहीं। बूझिये और कहै मुख और, सु और की और भई छिन… Read More »केशवदास की रचनाएँ

वर्षा गोरछिया ‘सत्या’ की रचनाएँ

कार्बन पेपर  सुनो न कहीं से कोई कार्बन पेपर ले आओ खूबसूरत इस वक़्त की कुछ नकलें निकालें कितनी पर्चियों में जीते हैं हम लम्हों… Read More »वर्षा गोरछिया ‘सत्या’ की रचनाएँ

केशव. की रचनाएँ

प्रेम (सात कविताएं)  (एक) तुम हो मैं हूं प्रेम है तुम नहीं हो मैं भी नहीं तो भी है प्रेम जीवित हैं हम सिर्फ प्रेम… Read More »केशव. की रचनाएँ

केशव शरण की रचनाएँ

घोड़ा और चिड़िया उसकी पूंछ की मार से मर सकती है वह चिड़िया जो शरारत या थकान से आ बैठी है घास चर रहे घोड़े… Read More »केशव शरण की रचनाएँ

केशव तिवारी की रचनाएँ

औरंगज़ेब का मन्दिर  यहाँ नहीं उमड़ती श्रद्धालुओं की भीड़ या जुजबी ही, भटक आते हैं इधर जबकि एक रास्ता इधर से भी जाता है जर्जर… Read More »केशव तिवारी की रचनाएँ

वर्तिका नन्दा की रचनाएँ

अश्क में भी हँसी है-1 लगता है दिल का एक टुकड़ा रानीखेत के उस बड़े मैदान के पास पेड़ की छाँव के नीचे ही रह… Read More »वर्तिका नन्दा की रचनाएँ

केशव कल्पान्त की रचनाएँ

अर्थशाला / भूमिका  डॉ. केशव ‘कल्पान्त’ द्वारा रचित एडम स्मिथ से जे. के. मेहता तक अर्थशास्त्रीय परिभाषाओं का पद्यानुबन्ध्न ‘अर्थशाला’ एक अनूठी काव्य प्रस्तुति है।… Read More »केशव कल्पान्त की रचनाएँ

केशव की रचनाएँ

एक भूत में होत, भूत भज पंचभूत भ्रम एक भूत में होत, भूत भज पंचभूत भ्रम। अनिल-अंबु-आकास, अवनि ह्वै जाति आगि सम॥ पंथ थकित मद… Read More »केशव की रचनाएँ