अली मोहम्मद फ़र्शी की रचनाएँ
दाओ फिर घुमाओ आख़िरी दाओ लगाओ क्या ख़बर इस बार आख़िर मिल ही जाए बीस बिलियन साल की वो गुम-शुदा पूँजी मुझे मैं मैं किसी… Read More »अली मोहम्मद फ़र्शी की रचनाएँ
दाओ फिर घुमाओ आख़िरी दाओ लगाओ क्या ख़बर इस बार आख़िर मिल ही जाए बीस बिलियन साल की वो गुम-शुदा पूँजी मुझे मैं मैं किसी… Read More »अली मोहम्मद फ़र्शी की रचनाएँ
आँख कुछ बे-सबब ही नम तो आँख कुछ बे-सबब ही नम तो नहीं ये कहीं आप का करम तो नहीं हम ने माना के रौशनी… Read More »अली जव्वाद ‘ज़ैदी’ की रचनाएँ
चंद शे’र कोई और तर्ज़े-सितम सोचिये। दिल अब ख़ूगरे-इम्तहाँ[1] हो गया॥ कब हुई आपको तौफ़ीके़-करम[2]। आह! जब ताक़ते फ़रियाद नहीं॥ करवटें लेती है फूलों में शराब।… Read More »अली अख़्तर ‘अख़्तर’ की रचनाएँ
बे यक़ीन बस्तियाँ वो इक मुसाफ़िर था जा चुका है बता गया था कि बे-यक़ीनों की बस्तियों में कभी न रहना कभी न रहना कि… Read More »अली अकबर नातिक़ की रचनाएँ
नये वर्ष की पहली कविता नए वर्ष की पहली कविता का इंतज़ार करना जैसे उत्साह में भरकर सुबह-शाम नवजात शिशु के मसूढ़े पर दूध का… Read More »अलका सिन्हा की रचनाएँ
ज़िन्दगी जीने की कला ज़िन्दगी जीने की कला सिखाना भूल गए मुझे मेरे बुजुर्ग। मैंने देखा लोगों ने बिछाए फूल मेरी राहों में, प्रफुल्लित थी… Read More »अलका सर्वत मिश्रा की रचनाएँ
खुश रहो कहना बहुत आसान होता है खुश रहो। जो चला गया वह तेरा नहीं था खुश रहो। जीने के लिए एक पल प्यार काफी… Read More »अलका वर्मा की रचनाएँ
तेरा ही आस्ताना चाहती हूँ तेरा ही आस्ताना चाहती हूँ यहीं धूनी रमाना चाहती हूँ है मेरी रूह इक गहरा समंदर सो ख़ुद में डूब… Read More »अलका मिश्रा की रचनाएँ
बंद आँखों से न हुस्न-ए-शब का बंद आँखों से न हुस्न-ए-शब का अंदाज़ा लगा महमिल-ए-दिल से निकल सर को हवा ताज़ा लगा देख रह जाए… Read More »‘अर्श’ सिद्दीक़ी की रचनाएँ
कुछ शेर-1 (1) जिन्दगी कशमकशे-1इश्क के आगाज2 का नाम, मौत अंजाम है इसी दर्द के अफसाने का। (2) जिस गम से दिल को राहत हो, उस… Read More »अर्श मलसियानी की रचनाएँ