अमरजीत कौंके की रचनाएँ
पता नहीं पता नहीं कितनी प्यास थी उसके भीतर कि मैं जिसे अपने समुद्रों पर बहुत गर्व था उसके सामने पानी का एक छोटा-सा क़तरा… Read More »अमरजीत कौंके की रचनाएँ
पता नहीं पता नहीं कितनी प्यास थी उसके भीतर कि मैं जिसे अपने समुद्रों पर बहुत गर्व था उसके सामने पानी का एक छोटा-सा क़तरा… Read More »अमरजीत कौंके की रचनाएँ
कुत्ते के बारे में शताब्दी का सबसे महत्त्वपूर्ण पहरेदार साबित हुआ है कुत्ता जातीय विकास का ज्ञान भी हम में कुत्ते की वजह से आया… Read More »शहंशाह आलम की रचनाएँ
कहो मम्मी, कहो पापा कहाँ घूमें, किधर जाएँ- कहो मम्मी, कहो पापा। सुधाकर मुसकराता है, इशारे से बुलाता है, लिए है हाथ में पैसे- मिठाई… Read More »घमंडीलाल अग्रवाल की रचनाएँ
आगे गाय पाछें गाय इत गाय उत गाय आगे गाय पाछें गाय इत गाय उत गाय, गोविंद को गायन में बसबोइ भावे। गायन के संग… Read More »छीतस्वामी की रचनाएँ
वेदना वेदना तुम पास आकर इस हृदय का बल बनो अश्रु अंतस में हैं ठहरे दे रहे हैं घाव गहरे जिन्दगी के हर कदम पर… Read More »छाया त्रिपाठी ओझा की रचनाएँ
. गुलाबो सिताबो फिर एक दिनकुछ यूँ बदली किस्मत कठपुतलियों की..गुलाबो ने सिताबो की आँखों में देखासिताबो ने कस कर गुलाबो का हाथ जकड़ाझटक फेंका… Read More »छवि निगम
तारे भये कारे तेरे नैन रतनारे भये तारे भये कारे तेरे नैन रतनारे भये , मोती भये सीरे तू न सीरी अजहूँ भई । छवि… Read More »छवि की रचनाएँ
जय, देवि, दुर्गे, दनुज गंजनि जय, देवि, दुर्गे, दनुज गंजनि, भक्त-जन-भव-भार-भंजनि, अरुण गति अति नैन खंजनि, जय निरंजनि हे। जय, घोर मुख-रद विकट पाँती, नव-जलद-तन,… Read More »छत्रनाथ की रचनाएँ
माँ माँतुम्हें पढ़करतुम्हारी उँगली की धर कलमगढ़ना चाहता हूँतुम सी ही कोई कृति तुम्हारे हृदय के विराट विस्तार मेंपसरकर सोचता हूँ मैंऔर खो जाता हूँ… Read More »छगनलाल सोनी की रचनाएँ
बात ठाकुर की गाँव ठाकुर का, कुआँ ठाकुर का घर जो अपना था, हुआ ठाकुर का सर कटाना हो तो उठा सर अपना सर सलामत,… Read More »ठाकुरदास सिद्ध की रचनाएँ