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अमरजीत कौंके

अमरजीत कौंके की रचनाएँ

पता नहीं  पता नहीं कितनी प्यास थी उसके भीतर कि मैं जिसे अपने समुद्रों पर बहुत गर्व था उसके सामने पानी का एक छोटा-सा क़तरा… Read More »अमरजीत कौंके की रचनाएँ