कैलाश पण्डा की रचनाएँ
मंगलाचरण ओ ध्वनि के जीवन धन तुम ही हो औंकार अनुभूति के संवाहक हो अंकनी के सृजनहार भावों को साकार करो ओ शब्द करो निर्माण।… Read More »कैलाश पण्डा की रचनाएँ
मंगलाचरण ओ ध्वनि के जीवन धन तुम ही हो औंकार अनुभूति के संवाहक हो अंकनी के सृजनहार भावों को साकार करो ओ शब्द करो निर्माण।… Read More »कैलाश पण्डा की रचनाएँ
भेलै केहन ससुरा केहन हम्मर नैहर रहै भेलै केहन ससुरा। बूँदा-बूदी होत्तेॅ होय छै कादऽ कैसन गाँव में केना केॅ वियाह कैलन बाबू ऐसन गाँव… Read More »कैलाश झा ‘किंकर’ की रचनाएँ
गंगा गंगा की बात क्या करूँ गंगा उदास है, वह जूझ रही ख़ुद से और बदहवास है। न अब वो रंगोरूप है न वो मिठास… Read More »कैलाश गौतम की रचनाएँ
मेरा माज़ी मेरे काँधे पर अब तमद्दुन[1] की हो जीत के हार मेरा माज़ी है अभी तक मेरे काँधे पर सवार आज भी दौड़ के गल्ले[2] में… Read More »कैफ़ी आज़मी की रचनाएँ
दाग दुनिया ने दिए जख़्म ज़माने से मिले दाग दुनिया ने दिए जख़्म ज़माने से मिले हम को तोहफे ये तुम्हें दोस्त बनाने से मिले… Read More »‘कैफ़’ भोपाली की रचनाएँ
‘केसव’ चौंकति सी चितवै ‘केसव’ चौंकति सी चितवै, छिति पाँ धरिकै तरकै तकि छाँहीं। बूझिये और कहै मुख और, सु और की और भई छिन… Read More »केशवदास की रचनाएँ
प्रेम (सात कविताएं) (एक) तुम हो मैं हूं प्रेम है तुम नहीं हो मैं भी नहीं तो भी है प्रेम जीवित हैं हम सिर्फ प्रेम… Read More »केशव. की रचनाएँ
घोड़ा और चिड़िया उसकी पूंछ की मार से मर सकती है वह चिड़िया जो शरारत या थकान से आ बैठी है घास चर रहे घोड़े… Read More »केशव शरण की रचनाएँ
औरंगज़ेब का मन्दिर यहाँ नहीं उमड़ती श्रद्धालुओं की भीड़ या जुजबी ही, भटक आते हैं इधर जबकि एक रास्ता इधर से भी जाता है जर्जर… Read More »केशव तिवारी की रचनाएँ
अर्थशाला / भूमिका डॉ. केशव ‘कल्पान्त’ द्वारा रचित एडम स्मिथ से जे. के. मेहता तक अर्थशास्त्रीय परिभाषाओं का पद्यानुबन्ध्न ‘अर्थशाला’ एक अनूठी काव्य प्रस्तुति है।… Read More »केशव कल्पान्त की रचनाएँ