राजकिशोर राजन की रचनाएँ
इमरती गली कहने भर को पटना शहर में पर सैकड़ों साल से वहीं का वहीं जैसे कहीं पड़ा हो पहाड़, खड़ा हो बूढ़ा पेड़ बबलू… Read More »राजकिशोर राजन की रचनाएँ
इमरती गली कहने भर को पटना शहर में पर सैकड़ों साल से वहीं का वहीं जैसे कहीं पड़ा हो पहाड़, खड़ा हो बूढ़ा पेड़ बबलू… Read More »राजकिशोर राजन की रचनाएँ
हाथ अमृता शेरगिल के लिए वक़्त के ताबूत में सिमट नहीं पाते हैं गर्म उसके सफ़ेद हाथ । लाल फूलों से ढका पड़ा रहता है… Read More »राजकमल चौधरी की रचनाएँ
अशआर रंग रूप से महरूम क्या हुए अशआर रंग रूप से महरूम क्या हुए अल्फ़ाज ने पहन लिए मानी नए नए बूँदें पड़ी थीं… Read More »राज नारायन ‘राज़’ की रचनाएँ
भीड़ चली है भोर उगाने भीड़ चली है भोर उगाने। हांक रहे हैं जुगनू सारे, उल्लू लिखकर देते नारे, शुभ्र दिवस के श्वेत ध्वजों पर… Read More »राघवेन्द्र शुक्ल की रचनाएँ
सरस्वती वंदना स्वर पपीहे का, संगीत दे साम का, सुर भरा कण्ठ कोयल का अनमोल दे। मातु कर दे दया चहचहाने लगूँ, थोड़ी मिसरी मेरे… Read More »राघव शुक्ल की रचनाएँ
बहुत दुश्वार है अब आईने से गुफ़्तुगू करना बहुत दुश्वार है अब आईने से गुफ़्तुगू करना सज़ा से कम नहीं है ख़ुद को अपने रू-ब-रू… Read More »राग़िब अख़्तर की रचनाएँ
मराठी औरतें अभी भी वैसी की वैसी ही तैयार होती हैं मराठी औरतें जैसी हम अपनी माँ को देखा किए अपनी बुआओं-मौसियों के साथ शादियों-उत्सवों… Read More »राग तेलंग की रचनाएँ
मध्यमवर्ग जिनके हिस्से में कम होती हैं खुशियाँ वो मध्यमवर्गीय मार्ग अपनाते हैं कम कम ख़र्चते हैं बचत के प्रयासों में जुटे रहते हैं फिर… Read More »राखी सिंह की रचनाएँ
उसकी तस्वीर उसकी जितनी तस्वीरें हैं उनमें वह स्टूडियो के झूठे दरवाज़े के पास खड़ी है जिसके उस पार रास्ता नहीं है या फिर वह… Read More »राकेश रोहित की रचनाएँ
स्त्री – एक एक दाना दो वह अनेक दाने देगी अन्न के । एक बीज दो वह विशाल वृक्ष सिरजेगी घनी छाया और फल के… Read More »राकेश रेणु