रामचरित उपाध्याय की रचनाएँ
दोहा / भाग 1 शृंगार सुषमा छत्र लगाये धनरिधर, बिहँसि बजावत वेनु। बसौ हिये हरि हित-सहित, ग्वाल ग्वालिनि धेनु।।1।। उर लगियत, परियत पगन, हौं ही… Read More »रामचरित उपाध्याय की रचनाएँ
दोहा / भाग 1 शृंगार सुषमा छत्र लगाये धनरिधर, बिहँसि बजावत वेनु। बसौ हिये हरि हित-सहित, ग्वाल ग्वालिनि धेनु।।1।। उर लगियत, परियत पगन, हौं ही… Read More »रामचरित उपाध्याय की रचनाएँ
नागों की फिरे जमात भगवान आपकी दुनियां में अंधेर दिखाई दे गुन्डे बेईमानों का हथफेर दिखायी दे। घूमते-फिरते डाकू-चोर, नाश कर देंगे रिश्वतखोर जगह-जगह अबलाओं… Read More »रामचरन गुप्त की रचनाएँ
मनोहर छटा नीचे पर्वत थली रम्य रसिकन मन मोहत। ऊपर निर्मल चन्द्र नवल आभायुत सोहत।। कबहुँ दृष्टि सों दुरत छिपत मेघन के आडें। अन्धकार अधिकार… Read More »रामचंद्र शुक्ल की रचनाएँ
पांव पैदल और कितनी दूर पाँव-पैदल और कितनी दूर थक गई है देह थक कर चूर थक गए हैं चाँद-तारे और बादल पेड़-पौधे,वन-पत्तियाँ, नदी, सागर… Read More »रामकृष्ण पांडेय की रचनाएँ
चाँदनी रात में नौका विहार चाँदनी बिखेरती रात जगमगा रही और हमें संग लिए नाव चली जा रही आसमान के तले याद के दिए जले… Read More »रामकृष्ण दीक्षित ‘विश्व’की रचनाएँ
दाम-नाम क्या छै साल की छोकरी, सिर पर रखे टोकरी। नहीं बताती दाम है, नहीं बताती नाम है, दाम-नाम क्या पूछना, हमें आम है चूसना!… Read More »रामकृष्ण खद्दर की रचनाएँ
मौन करुणा मैं तुम्हारी मौन करुणा का सहारा चाहता हूँ, जानता हूँ इस जगत में फूल की है आयु कितनी, और यौवन की उभरती साँस… Read More »रामकुमार वर्मा की रचनाएँ
माँ ने कहा हुआ क्या तुझको माँ ने कहा — हुआ क्या तुझको कैसे सूखा है , रजधानी में रहकर भी क्या रहता भूखा है ?… Read More »रामकुमार कृषक की रचनाएँ
पागल हुआ रमोली राजकुँवर की ओछी हरकत सहती जनता भोली बेटी का सदमा ले बैठा पागल हुआ ‘रमोली’ देह गठीली सुंदर आँखें दोष यही ‘अघनी’… Read More »रामकिशोर दाहिया की रचनाएँ
धनकटनी दुपहरिया अगहन की शीतल मन्द तपन की । लेती मीठी झपकी, पुरबइया की सनकी ! ऊबड़-खाबड़ खेतों की छाती पर विपुल शालि-दल स्वप्नों से भर… Read More »रामइक़बाल सिंह ‘राकेश’की रचनाएँ