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Hindi

श्याम सखा ’श्याम’की रचनाएँ

यारो मैने खूब ठगा है यारो मैने खूब ठगा है खुद को भी तो खूब ठगा है पहले ठगता था औरों को कुछ भी हाथ… Read More »श्याम सखा ’श्याम’की रचनाएँ

कुँवर दिनेश की रचनाएँ

शिमला बड़ा ही नाज़ुक मिज़ाज है― शहर मेरा। ज़रा धूप हुई तेज़ कि फूट पड़ता है― शहर मेरा। ज़रा बादल हुए जमा कि उदास हो… Read More »कुँवर दिनेश की रचनाएँ

कुँअर रवीन्द्र की रचनाएँ

तितली मेरे हाथों से छूट कर दूर उड़ गयी थी वह तितली मगर अब तक उसके पंखों के नीले,सुनहरे काले रंग मेरी उँगलियों में चिपके… Read More »कुँअर रवीन्द्र की रचनाएँ

श्याम लाल शर्मा की रचनाएँ

विरह-प्रसंग (1-25 दोहे) 1. पीड़ा मन की कत कहूँ, सबद न सूझे कोय । प्रीतम सुधि महँ मन दुखी, चुपके-चुपके रोय ।। 2. तबहिं ते… Read More »श्याम लाल शर्मा की रचनाएँ

श्याम बिहारी श्यामल की रचनाएँ

नदी-1 नदी ने जब-जब चाहा गीत गाना रेत हुई कंठ रीते धूल उड़ी खेत हुई नदी-2 चट्टानों से खूब लड़ी बढ़ती चली बहती गई मगर… Read More »श्याम बिहारी श्यामल की रचनाएँ

श्याम निर्मम की रचनाएँ

कण्ठ सभी भर्राए आँखों में सपनों की भरी नदी सूख गई, और हमें मरुथल के संग-संग बहना है। गढ़ते वक्तव्य रहे बस्ती के सीने पर,… Read More »श्याम निर्मम की रचनाएँ

श्याम नारायण मिश्र की रचनाएँ

अहसासों का चौरा दरका कौन करे दिये-बत्तियाँ तुमने जो लिखी नहीं मैंने जो पढ़ी नहीं आँखों में तैर रहीं चिट्ठियाँ छाती से सूरज का दग्ध-लाल… Read More »श्याम नारायण मिश्र की रचनाएँ

श्याम किशोर सेठ की रचनाएँ

कुत्ते की दुम जब भी किसी कोने से उठती है पुकार कोयल की तभी भौंकने लगता है मेरे पड़ौसी का कुत्ता और मैं कोयल की… Read More »श्याम किशोर सेठ की रचनाएँ

श्याम कश्यप की रचनाएँ

क्रांतिकारी विचार  तुम दफ़ना आए थे उन्हें पहाड़ों के पार गहरी क़ब्रों के भीतर लेकिन वहाँ हरी-हरी घास उग आई है भीतर की नन्हीं-नन्हीं जीवित… Read More »श्याम कश्यप की रचनाएँ

श्याम कश्यप बेचैन की रचनाएँ

सफ़र है, सफ़र में सबर रख के चल सफ़र है, सफ़र में सबर रख के चल कहाँ है तू इसकी ख़बर रख के चल कहीं… Read More »श्याम कश्यप बेचैन की रचनाएँ