सिकंदर अली ‘वज्द की रचनाएँ
बयाबानों पे ज़िंदानों पे वीरानों पे क्या गुज़री बयाबानों पे ज़िंदानों पे वीरानों पे क्या गुज़री जहान-ए-होश में आए तो दीवानों पे क्या गुज़री दिखाऊँ… Read More »सिकंदर अली ‘वज्द की रचनाएँ
बयाबानों पे ज़िंदानों पे वीरानों पे क्या गुज़री बयाबानों पे ज़िंदानों पे वीरानों पे क्या गुज़री जहान-ए-होश में आए तो दीवानों पे क्या गुज़री दिखाऊँ… Read More »सिकंदर अली ‘वज्द की रचनाएँ
सभ्यता का ज़हर सुबह की भाषा में कोई प्रदूषण नहीं है सुबह की हवा पेड़ों को बजा रही है सुबह की भाषा में ताज़े पेड़… Read More »विष्णुचन्द्र शर्मा की रचनाएँ
सुनिए थानेदार फोन उठाकर कुत्ता बोला- सुनिए थानेदार, घर में चोर घुसे हैं, बाहर सोया पहरेदार! मेरे मालिक डर के मारे, छिप बैठे चुपचाप, मुझको… Read More »विष्णुकांत पांडेय की रचनाएँ
छोड़ चली क्यों साथ छोड़ चली क्यों साथ सखी री? इसीलिए हमसे रचवाए क्या मेंहदी से हाथ सखी री! गुमसुम होगी कल ये देहरी, सिसकेगा… Read More »विष्णु सक्सेना की रचनाएँ
आँख से आँसू टपका होगा आँख से आँसू टपका होगा सुब्ह का तारा टूटा होगा फैल गई है नूर की चादर रूख़ से आँचल सरका… Read More »साहिल अहमद की रचनाएँ
बरगद बाबा बरगद बाबा कितने अच्छे करते प्यार इन्हें सब बच्चे। चाहे कितनी धूप पड़े चाहे जितनी शीत पड़े, हँसते रहते हरदम चाहे आँधी आए,… Read More »सावित्री परमार की रचनाएँ
वर्जना सदा वर्जनाएँ झेली हैं जीवन में। बोलने की, चलने की, सोने की जगने की। देखने की, सुनने की, समझने व न समझने की। सुबह… Read More »सावित्री नौटियाल काला की रचनाएँ
बदन सिमटा हुआ और दश्त-ए-जाँ फैला हुआ है बदन सिमटा हुआ और दश्त-ए-जाँ फैला हुआ है सो ता-हद्द-ए-नज़ वहम ओ गुमाँ फैला हुआ है हमारे… Read More »सालिम सलीम की रचनाएँ
आतिश-दान आतिश-दानों से अपने दहकते हुए सीने निकाल लो वर्ना आख़िर दिन आग और लकड़ी ओ अशरफ़-उल-मख़्लूक़ बना दिया जाएगा ऐ मेरे सर-सब्ज़ ख़ुदा बैन… Read More »सारा शगुफ़्ता की रचनाएँ
हमारी बेचैनी उस की पलकें भिगो गई है हमारी बेचैनी उस की पलकें भिगो गई है ये रात यूँ बन रही है जैसे कि सो… Read More »साबिर की रचनाएँ