कुबेरनाथ राय की रचनाएँ
कंथा-मणि (कविता) उस दिन संध्या को दृष्टि अभिसार द्वारा मैंने पहचाना तुम्हें पुनः पुनः मैंने पुकारा तुम्हें मन ही मन बार बार! अपनी ही सांत्वना… Read More »कुबेरनाथ राय की रचनाएँ
कंथा-मणि (कविता) उस दिन संध्या को दृष्टि अभिसार द्वारा मैंने पहचाना तुम्हें पुनः पुनः मैंने पुकारा तुम्हें मन ही मन बार बार! अपनी ही सांत्वना… Read More »कुबेरनाथ राय की रचनाएँ
देह का सिंहनाद यह मेरा अपमानित, तिरस्कृत शव… शव भी कहाँ- जली हडडियों की केस प्रापर्टी, मुर्दाघर में अधिक-अधिक मुर्दा होती… चिकित्सा विज्ञान के शीर्ष… Read More »कुबेरदत्त की रचनाएँ
बांध ले बिस्तर, फ़िरंगी बांध ले बिस्तर, फ़िरंगी, राज अब जाने को है, जुल्म काफ़ी कर चुके, पब्लिक बिगड़ जाने को है। गोलियां तो खा… Read More »कुंवर प्रतापचंद्र ‘आज़ाद’ की रचनाएँ
माध्यम वस्तु और वस्तु के बीच भाषा है जो हमें अलग करती है, मेरे और तुम्हारे बीच एक मौन है जो किसी अखंडता में हमको… Read More »कुंवर नारायण की रचनाएँ
आँखी मा हमर धुर्रा झोंक दिये आँखी मा हमर धुर्रा झोंक दिये, मुड़ी मा थोप दिये मोहनी । अरे बैरी जानेन तोला हितवा , गंवायेन… Read More »कुंजबिहारी चौबे की रचनाएँ
यारो मैने खूब ठगा है यारो मैने खूब ठगा है खुद को भी तो खूब ठगा है पहले ठगता था औरों को कुछ भी हाथ… Read More »श्याम सखा ’श्याम’की रचनाएँ
शिमला बड़ा ही नाज़ुक मिज़ाज है― शहर मेरा। ज़रा धूप हुई तेज़ कि फूट पड़ता है― शहर मेरा। ज़रा बादल हुए जमा कि उदास हो… Read More »कुँवर दिनेश की रचनाएँ
तितली मेरे हाथों से छूट कर दूर उड़ गयी थी वह तितली मगर अब तक उसके पंखों के नीले,सुनहरे काले रंग मेरी उँगलियों में चिपके… Read More »कुँअर रवीन्द्र की रचनाएँ
विरह-प्रसंग (1-25 दोहे) 1. पीड़ा मन की कत कहूँ, सबद न सूझे कोय । प्रीतम सुधि महँ मन दुखी, चुपके-चुपके रोय ।। 2. तबहिं ते… Read More »श्याम लाल शर्मा की रचनाएँ
नदी-1 नदी ने जब-जब चाहा गीत गाना रेत हुई कंठ रीते धूल उड़ी खेत हुई नदी-2 चट्टानों से खूब लड़ी बढ़ती चली बहती गई मगर… Read More »श्याम बिहारी श्यामल की रचनाएँ