उदयप्रताप सिंह की रचनाएँ
फूल और कली फूल से बोली कली क्यों व्यस्त मुरझाने में है फ़ायदा क्या गंध औ मकरंद बिखराने में है तूने अपनी उम्र क्यों वातावरण… Read More »उदयप्रताप सिंह की रचनाएँ
फूल और कली फूल से बोली कली क्यों व्यस्त मुरझाने में है फ़ायदा क्या गंध औ मकरंद बिखराने में है तूने अपनी उम्र क्यों वातावरण… Read More »उदयप्रताप सिंह की रचनाएँ
कटोरे में अंगार होली की आग में माँ मुझे गेहूँ की बालें भूनने को कहती हैं। चौराहे पर जलती ढेरों लकड़ियों की सुनहली आभा पास… Read More »उदयन वाजपेयी की रचनाएँ
कर्फ्यू में लिखी एक चिट्ठी प्रिय रामदेव जी! अच्छा ही हुआ जो आप इन दिनों नहीं थे शहर में रहते भी तो क्या हमारा मिलना… Read More »उदय भान मिश्र की रचनाएँ
नींव की ईंट हो तुम दीदी पीपल होतीं तुमपीपल, दीदीपिछवाड़े का, तोतुम्हारी खूब घनी-हरी टहनियों मेंहारिल हमबसेरा लेते हारिल होते हैं हमारी तरह हीघोंसले नहीं… Read More »उदय प्रकाश की रचनाएँ
शामिल आजकल न मैं किसी उत्सव में शामिल हूँ न किसी शोक में न किसी रैली-जुलूस में किसी सभा में नहीं न किसी बाहरी ख़ुलूस… Read More »शिरीष कुमार मौर्य की रचनाएँ
हुकूमत पर ज़वाल आया तो हुकूमत पर ज़वाल आया तो फिर नामो-निशां कब तक चराग़े-कुश्त:-ए-महफ़िल से उट्ठेगा धुऑं कब तक क़बाए-सल्तनत के गर फ़लक ने… Read More »शिबली नोमानी
बदन के रूप का एजाज़ अंग अंग थी वो / बदन के रूप का एजाज़ अंग अंग थी वो मिरे लिए तो मिरी रूह की… Read More »शाहीन की रचनाएँ
अब ऐसे चाक पर कूज़ा-गरी होती नहीं थी अब ऐसे चाक पर कूज़ा-गरी होती नहीं थी कभी होती थी मिट्टी और कभी होती नहीं थी… Read More »शाहीन अब्बास की रचनाएँ
ठहरा है करीब-ए-जान आ कर ठहरा है करीब-ए-जान आ कर जाने का नहीं ये ध्यान आ कर आईना लिया तो तेरी सूरत हँसने लगी दरमियान… Read More »शाहिदा हसन की रचनाएँ
ऐ ख़ुदा रेत के सहरा को समंदर कर दे ऐ ख़ुदा रेत के सहरा को समंदर कर दे या छलकती हुई आँखों को भी पत्थर… Read More »शाहिद मीर की रचनाएँ