चन्द्रकुंवर बर्त्वाल की रचनाएँ
मुझको पहाड़ ही प्यारे है मुझको पहाड़ ही प्यारे है प्यारे समुंद्र मैदान जिन्हें नित रहे उन्हें वही प्यारे मुझ को हिम से भरे हुए… Read More »चन्द्रकुंवर बर्त्वाल की रचनाएँ
मुझको पहाड़ ही प्यारे है मुझको पहाड़ ही प्यारे है प्यारे समुंद्र मैदान जिन्हें नित रहे उन्हें वही प्यारे मुझ को हिम से भरे हुए… Read More »चन्द्रकुंवर बर्त्वाल की रचनाएँ
अगर तुम्हें नीन्द नहीं आ रही अगर तुम्हें नींद नहीं आ रही तो मत करो कुछ ऐसा कि जो किसी तरह सोए हैं उनकी नींद… Read More »चन्द्रकान्त देवताले की रचनाएँ
ताकि फिर न रोए बुद्ध प्रथम रुदन नहीं यह इससे पहले भी कई बार रोया बुद्ध कलिंग का बुद्ध हिरोशिमा का बुद्ध पोखरन का बुद्ध… Read More »चन्द्र प्रकाश श्रीवास्तव की रचनाएँ
आश्रय देता नहीं जगत,पर असमय कुदरत ने दे डाला उसको है अभिशाप। आश्रय देता नहीं जगत,पर वह निश्छल निष्पाप। बचपन में वह हुई सुहागन माँग… Read More »चन्द्रगत भारती की रचनाएँ
यह कविता तुम्हारे ही नाम कविता लिखने बैठा और तुम्हारी याद आयी लो— यह कविता तुम्हारे ही नाम वहाँ देखो एक कोढ़ बैठा है अनाम… Read More »चन्द्र कुमार वरठे की रचनाएँ
पद / 1 एहो ब्रजराज कत बैठे हौ निकुंज माँहि, कीन्हों तुम मान ताकी सुधि कछु पाई है। ताते वृषभानुजा सिंगार साजि नीकी भाँति, सखियाँ… Read More »चन्द्रकला की रचनाएँ
मज़दूरों के लिए एक श्रम के आँच में जल-जलकर बहे हुए लहू-पसीने के कतरे-कतरे को चूमा जाएगा चूमा जाएगा उन कतरों को चमन के फूलों… Read More »चन्द्र की रचनाएँ
बसना यह शहर का नया बसता हुआ इलाका है यहाँ सब्ज़ियों से अधिक अभी सीमेण्ट छड़ की दुकानें हैं म्यूनिसपैलिटी ने अभी इसे अपना पानी… Read More »चन्दन सिंह की रचनाएँ
गीत खुशी के माँ, नभ देखो बुला रहा मैं मंगल ग्रह को जाऊँगा, शटल यान से उतर, वहाँ पर गीत खुशी के गाऊँगा। शुष्क और… Read More »चक्रधर ‘नलिन’की रचनाएँ
उतारी जाए अब हथेली न पसारी जाए. धार पर्वत से उतारी जाए. अपनी जेबो में भरे जो पानी उसकी गर्दन पे कटारी जाए. अब वो… Read More »चंद्रसेन विराट की रचनाएँ