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कुसुम मेघवाल की रचनाएँ

रोटी  रमुआ ने पूछा माँ तुम तोड़ती क्यों / पत्थर— क्यों चिलचिलाती / धूप में बरसते अंगारों के बीच बैठी हो चुप्पी साधे न छाया… Read More »कुसुम मेघवाल की रचनाएँ

कुसुम जैन की रचनाएँ

ये बूंदे नहीं… बरस पड़े बादल टूट गया धीरज उतर पड़ा आसमान धरती को चूमने ये बूंदें नहीं होंठ हैं आसमान के जीवन  घूंघर-घूंघर बरसती… Read More »कुसुम जैन की रचनाएँ

कुसुम ख़ुशबू की रचनाएँ

महब्बत क्या है ये सब पर अयां है महब्बत क्या है ये सब पर अयां है महब्बत ही ज़मीं और आसमां है ज़हे-क़िस्मत मुझे तुम… Read More »कुसुम ख़ुशबू की रचनाएँ

क़ुली ‘क़ुतुब’ शाह की रचनाएँ

प्यारी के नयनाँ हैं जैसे कटारे  प्यारी के नयनाँ हैं जैसे कटारे न सम उस के अंगे कोई हैं धारे असर तुज मोहब्बत का जिस… Read More »क़ुली ‘क़ुतुब’ शाह की रचनाएँ

कुलवंत सिंह की रचनाएँ

वंदना (माँ शारदा की)  वर दे … वर दे … वर दे। शतदल अंक शोभित, वर दे। मधुर मनोहर वीणा लहरी, राग स्रोत की छटा… Read More »कुलवंत सिंह की रचनाएँ

वज़ीर आग़ा की रचनाएँ

सितम हवा का अगर तेरे तन को रास नहीं  सितम हवा का अगर तेरे तन को रास नहीं कहाँ से लाऊँ वो झोंका जो मेरे… Read More »वज़ीर आग़ा की रचनाएँ

कुम्भनदास की रचनाएँ

भक्तन को कहा सीकरी सों काम  भक्तन को कहा सीकरी सों काम। आवत जात पन्हैया टूटी बिसरि गये हरि नाम॥ जाको मुख देखे अघ लागै… Read More »कुम्भनदास की रचनाएँ

वचनेश की रचनाएँ

पौडर लगाये अंग पौडर लगाये अंग गालों पर पिंक किये कठिन परखना है गोरी हैं कि काली हैं। क्रीम को चुपर चमकाये चेहरे हैं चारु,… Read More »वचनेश की रचनाएँ

कुमुद बंसल की रचनाएँ

हे विहंगिनी / भाग 1 1 मधुर स्वर, धुन है पहचानी हे विहंगिनी! तुझ-सा ही आनन्द पाएगा मेरा मन। 2 चिनार-वृक्ष, हिमरंजित वन, धरा-वक्ष पे… Read More »कुमुद बंसल की रचनाएँ

वंशी माहेश्वरी की रचनाएँ

रंग चढ़ते-उतरते हैं रंग रंग उतरते-चढ़ते हैं कितने ही रंग कर जाते हैं रंगीन जीवन मटमैला अदृश्य सीढ़ी हैं रंग आने-जाने वाले दृश्य के बाहर… Read More »वंशी माहेश्वरी की रचनाएँ