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श्यामसुंदर श्रीवास्तव ‘कोमल’ की रचनाएँ

पीपल का पेड़ मेरे द्वारे बहुत पुराना, पेड़ खड़ा है पीपल का। मैं तो बैठ पढ़ा करता हूँ इसकी शीतल छाँव में, इसके जैसा पेड़… Read More »श्यामसुंदर श्रीवास्तव ‘कोमल’ की रचनाएँ

कुमार मुकुल की रचनाएँ

माँ सरस्‍वती मां सरस्‍वती! वरदान दो कि हम सदा फूलें-फलें अज्ञान सारा दूर हो और हम आगे बढ़ें अंधकार के आकाश को हम पारकर उपर… Read More »कुमार मुकुल की रचनाएँ

श्यामलाल शमी की रचनाएँ

उनकी पीड़ा सुनो, हाँ भाई सुनो किसुना अछूत कुछ पढ़-लिखकर कृष्ण और फिर आज़ादी की लड़ाई के दिनों में कृष्णचन्द्र दास कहलाया और हमारी मजूरी-चाकरी… Read More »श्यामलाल शमी की रचनाएँ

श्यामलाकांत वर्मा की रचनाएँ

गिरगिट जी  सिर पर टोपी, आँख पे ऐनक, चले आ रहे गिरगिट जी। नेता बनकर उछल रहे हैं, बोल रहे हैं गिटपिट जी! टर्रम-टूँ, टर्रम-टूँ… Read More »श्यामलाकांत वर्मा की रचनाएँ

श्यामनारायण पाण्डेय की रचनाएँ

चेतक की वीरता रण बीच चौकड़ी भर-भर कर चेतक बन गया निराला था राणाप्रताप के घोड़े से पड़ गया हवा का पाला था जो तनिक… Read More »श्यामनारायण पाण्डेय की रचनाएँ

श्यामनन्दन किशोर की रचनाएँ

मैं मधुर भी, तिक्त भी हूँ  मैं मधुर भी, तिक्त भी हूँ। थपकियों से आज झंझाके भले ही दीप मेराबुझ रहा है, और पथ में,जा… Read More »श्यामनन्दन किशोर की रचनाएँ

कुमार मंगलम की रचनाएँ

नदी कथा दिन ढ़लते शाम तट पर पानी में पैर डाले नदी किनारे रेत पर औंधा पड़ा है 2. नदी किनारे रेत के खूंटे में… Read More »कुमार मंगलम की रचनाएँ

कुमार प्रशांत की रचनाएँ

गंगा-1 (हमें आप्लावित कर दो!) सैकड़ों वृक्ष : जलती दोपहर : ठहरी नदी हरियाली के धब्बे समेटे धूसर-सा दिखाई देता वन! टहनियाँ बने हज़ारों हाथ प्रार्थनारत आकाश… Read More »कुमार प्रशांत की रचनाएँ

कुमार पाशी की रचनाएँ

रात! मेरे दिल में नाच रात–प्यारी रात-नाच चल रही है आज यादों की पवन–ऐ रात नाच आसमानों की बहन–ऐ रात नाच ऐ मेरी देरीना महबूबा,… Read More »कुमार पाशी की रचनाएँ

कुमार नयन की रचनाएँ

तारों भरी है रात ग़ज़ल कह रहा हूँ मैं तारों भरी है रात ग़ज़ल कह रहा हूँ मैं रौशन है कायनात ग़ज़ल कह रहा हूँ… Read More »कुमार नयन की रचनाएँ