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गणेश बिहारी ‘तर्ज़’ की रचनाएँ

दुनिया बनी तो हम्द-ओ-सना बन गई ग़ज़ल दुनिया बनी तो हम्द-ओ-सना बन गई ग़ज़ल उतरा जो नूर, नूर-ए-ख़ुदा बन गई ग़ज़ल गूँजा जो नाद ब्रह्म,… Read More »गणेश बिहारी ‘तर्ज़’ की रचनाएँ

गणेश पाण्डेय की रचनाएँ

यह देश  यह देश मेरा भी है यह देश आपका भी है एक मत मेरे पास है एक मत आपके पास भी है एक अरब… Read More »गणेश पाण्डेय की रचनाएँ

गणेश गम्भीर की रचनाएँ

नदी जिसने चाहा किया उसी ने पार नदी को। पूजा-उत्सव सभी व्यवस्था पहले जैसी दान-दक्षिणा सन्त-भक्त गणिकाएँ विदुषी युगों युगों से रहे निरन्तर तार नदी… Read More »गणेश गम्भीर की रचनाएँ

विजय कुमार पंत की रचनाएँ

तुम आओ तो तुम आओ तो इतनी निष्ठुर रातें है इन्हें जगाओ तो तुम आओ तो अंधेरों के भी अर्थ समझने थे मुझको मेरी जिज्ञासाओं… Read More »विजय कुमार पंत की रचनाएँ

गजानन माधव मुक्तिबोध की रचनाएँ

घोर धनुर्धर, बाण तुम्हारा सब प्राणों को पार करेगा घोर धनुर्धर, बाण तुम्हारा सब प्राणों को पार करेगा तेरी प्रत्यंचा का कम्पन सूनेपन का भार… Read More »गजानन माधव मुक्तिबोध की रचनाएँ

विजय कुमार देव की रचनाएँ

प्रार्थना आओ मेरे प्रिय शब्दों मै प्रार्थना करता हूँ अपने दुःख भरे दिनों में ठण्डेपन के साथ आना तुम शाम को थककर जिन्दगी से टूटने… Read More »विजय कुमार देव की रचनाएँ

विजय कुमार विद्रोही की रचनाएँ

भवसागर पार हुआ आदि गुरु जो संस्कृति दाता,वंदन ऐसी थाती का । साँच सनातन धर करता हूँ ,वर्णन भारत माटी का। उदधिराज पगवंदन करता,और हिमाला… Read More »विजय कुमार विद्रोही की रचनाएँ

गंगासहाय ‘प्रेमी’ की रचनाएँ

दस्ताने टिल्लू जी के हाथ पड़ गए मम्मी के दस्ताने, कुछ भी नहीं समझ में आया घंटों खींचे-ताने। पैरों में तो तंग एकदम हाथों में… Read More »गंगासहाय ‘प्रेमी’ की रचनाएँ

गंगाराम परमार की रचनाएँ

बोल के तो देख अन्धकार है, तो अन्धकार बोल के तो देख सरकार है, तो सरकार बोल के तो देख अब तो मैदान खुला है… Read More »गंगाराम परमार की रचनाएँ

गंगादास की रचनाएँ

झूलत कदम तरे मदन गोपाल लाल  झूलत कदम तरे मदन गोपाल लाल, बाल हैं बिशाल झुकि झोंकनि झुलावती।१। कोई सखी गावती बजावती रिझावती, घुमड़ि घुमड़ि… Read More »गंगादास की रचनाएँ