भगवत रावत की रचनाएँ
वे इस पृथ्वी पर वे इस पृथ्वी पर कहीं न कहीं कुछ न कुछ लोग हैं ज़रूर जो इस पृथ्वी को अपनी पीठ पर कच्छपों… Read More »भगवत रावत की रचनाएँ
वे इस पृथ्वी पर वे इस पृथ्वी पर कहीं न कहीं कुछ न कुछ लोग हैं ज़रूर जो इस पृथ्वी को अपनी पीठ पर कच्छपों… Read More »भगवत रावत की रचनाएँ
आप बड़े हैं आप निगलते सूर्य समूचा अपने मुँह मिट्ठू बनते हैं, हमने माना आप बड़े हैं! पुरखों की उर्वरा भूमि से यश की फसल… Read More »भगवत दुबे की रचनाएँ
अंबर बीच पयोधर देखिकै अंबर बीच पयोधर देखिकै कौन को धीरज सोँ न गयो है । भँजनजू नदिया यह रूप की नाव नहीँ रविहू अथयो… Read More »भँजन की रचनाएँ
दरक गइल दरपन सूख गइल सरिता उमंग के, कुम्हिला गइल सुमन, कहाँ निरेखीं आपन सूरत, दरक गइल दरपन। अँगना में तुलसी के बिरवा परल घवाइल… Read More »भगवती प्रसाद द्विवेदी की रचनाएँ
गोपिन के अँसुवान के नीर गोपिन के अँसुवान के नीर पनारे बहे बहिकै भए नारे । नारे भए ते भई नदियाँ नदियाँ नद ह्वै गए… Read More »तोष की रचनाएँ
नवसंवत यही सोचती हूँ नवसंवत्! कैसी होंगी तेरी- वे नई लहर की घड़ियाँ। जब सबके हृदयों में होगा, सहज आत्म-अभिमान। जब सब भाँति प्रदर्शित होगा,… Read More »तोरनदेवी ‘लली’की रचनाएँ
टेम्स का पानी टेम्स का पानी, नहीं है स्वर्ग का द्वार यहां लगा है, एक विचित्र माया बाज़ार! पानी है मटियाया, गोरे हैं लोगों के… Read More »तेजेन्द्र शर्मा की रचनाएँ
क्या मालूम है तुम्हें क्या मालूम है तुम्हें पर्दे के पीछे बेतरह रूठ गई है वह उसकी मात्राएँ झाँकती हैं अथाह हरे की सलों में… Read More »तेजी ग्रोवर की रचनाएँ
फूल वाला माल रोड़ के उस छोर पर बैठता है फूल बेचने वाला अविरल बहती छोटी नदी के किनारों से ढूँढ लया है तरह-तरह के… Read More »तेज राम शर्मा की रचनाएँ