चंद्रधर शर्मा ‘गुलेरी’की रचनाएँ
झुकी कमान (1) आए प्रचंड रिपु, शब्द सुन उन्हीं का, भेजी सभी जगह एक झुकी कमान ज्यों युद्ध चिह्न समझे सब लोग धाए, त्यों साथ… Read More »चंद्रधर शर्मा ‘गुलेरी’की रचनाएँ
झुकी कमान (1) आए प्रचंड रिपु, शब्द सुन उन्हीं का, भेजी सभी जगह एक झुकी कमान ज्यों युद्ध चिह्न समझे सब लोग धाए, त्यों साथ… Read More »चंद्रधर शर्मा ‘गुलेरी’की रचनाएँ
बोल मेरी मछली हरा समंदर गोपी चंदर, बोल मेरी मछली कितना पानी? ठहर-ठहर तू चड्ढी लेता, ऊपर से करता शैतानी! नीचे उतर अभी बतलाऊँ, कैसी… Read More »चंद्रदत्त ‘इंदु’ की रचनाएँ
असल में आदमी असल में एक घोड़ा सवार बिठाए बिठाए न भी दौड़े एक काठी तो बिँधी ही रहती है उसकी माँस-मज्जा से. एक गुलमोहर… Read More »चंद्र रेखा ढडवाल की रचनाएँ
एक दीप सूरज के आगे लीक से हटकर अलग चाहे हुआ अपराध मुझसे, सच कहूँ, सूरज के आगे दीप मैंने रख दिया है ! प्रश्नों… Read More »चंद्र कुमार जैन की रचनाएँ
प्रन्म्म प्रथम मम आदि देव प्रन्म्म प्रथम मम आदि देव ऊंकार सब्द जिन करि अछेव निरकार मध्य साकार कीन मनसा विलास सह फल फलीन बरन्यौ… Read More »चंदबरदाई की रचनाएँ
हाय हर सुबह लहू से लथपथ है, हर शाम अनय से काली है । मानवता लगता लुप्त हुई, अब दानवता की पाली है ॥ यह… Read More »चतुर्भुज मिश्र की रचनाएँ
माखन की चोरी के कारन माखन की चोरी के कारन, सोवत जाग उठे चल भोर। ऍंधियारे भनुसार बडे खन, धँसत भुवन चितवत चहुँ ओर॥ परम… Read More »चतुर्भुजदास की रचनाएँ
चलो कुछ खेल जैसा खेलें चलो कुछ खेल जैसा खेलें थोड़ा- थोड़ा साहस थोड़ा- थोड़ा भय साथ-साथ रखें थोड़ा-थोड़ा अनुचित थोड़ा-थोड़ा उचित इतना प्रेम करें… Read More »महेश आलोक की रचनाएँ
आ रहे हैं मुझको समझाने बहुत आ रहे हैं मुझको समझाने बहुत अक़्ल वाले कम हैं दीवाने बहुत साक़िया हम को मुरव्वत चाहिए शहर में… Read More »महेन्द्र सिंह बेदी ‘सहर’ की रचनाएँ
वेदना ओढ़े कहाँ जाएँ वेदना ओढ़े कहाँ जाएँ! उठ रहीं लहरें अभोगे दर्द की! कैसे सहज बन मुस्कुराएँ!! रुँधा है कंठ कैसे गीत में उल्लास… Read More »महेन्द्र भटनागर की रचनाएँ