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मलय की रचनाएँ

कैसे छोड़ दूँ यह दुनिया मैं इतनी जल्दी कैसे छोड़ दूँ यह दुनिया! अभी सूखती नदियों की तरह उदास खड़ी हैं बहनें भाई फटे गमछे… Read More »मलय की रचनाएँ

मलखान सिंह की रचनाएँ

सफ़ेद हाथी गाँव के दक्खिन में पोखर की पार से सटा, यह डोम पाड़ा है – जो दूर से देखने में ठेठ मेंढ़क लगता है… Read More »मलखान सिंह की रचनाएँ

मरदान अली खान ‘राना’ की रचनाएँ

गयी जो तिफ़्ली तो फिर आलम-ए-शबाब आया गयी जो तिफ़्ली[1] तो फिर आलम-ए-शबाब[2] आया गया शबाब तो अब मौसम-ए-ख़िज़ाब आया मैं शौक़-ए-वस्ल[3] में क्या रेल पर शिताब[4] आया कि… Read More »मरदान अली खान ‘राना’ की रचनाएँ

मयंक अवस्थी की रचनाएँ

तारों से और बात में कमतर नहीं हूँ मैं तारों से और बात में कमतर नहीं हूँ मैं जुगनू हूँ इसलिये कि फ़लकपर नहीं हूँ… Read More »मयंक अवस्थी की रचनाएँ

‘ममनून’ निज़ामुद्दीन की रचनाएँ

झुकी निगह में है ढब पुर्सिश-ए-निहानी का ‎ झुकी निगह में है ढब पुर्सिश-ए-निहानी का हया में ज़ोर दिया रंग मेहर-बानी का जिए हैं गर्म… Read More »‘ममनून’ निज़ामुद्दीन की रचनाएँ

ममता व्यास की रचनाएँ

शब्दवती मैंने जाना शब्द कैसे पनपते हैं भीतर तुम मुझे शब्दवती करते थे हर बार मन की कोख हरी होती थी बार-बार ऐसे मैं शब्दवती… Read More »ममता व्यास की रचनाएँ

ममता किरण की रचनाएँ

स्त्री स्त्री झाँकती है नदी में निहारती है अपना चेहरा सँवारती है अपनी टिकुली, माँग का सिन्दूर होठों की लाली, हाथों की चूड़ियाँ भर जाती… Read More »ममता किरण की रचनाएँ

ममता कालिया की रचनाएँ

खांटी घरेलू औरत 1. कभी कोई ऊंची बात नहीं सोचती खांटी घरेलू औरत उसका दिन कतर-ब्योंत में बीत जाता है और रात उधेड़बुन में बची… Read More »ममता कालिया की रचनाएँ

मन्नन द्विवेदी गजपुरी की रचनाएँ

मातृभूमि जन्म दिया माता-सा जिसने, किया सदा लालन-पालन। जिसके मिट्टी जल से ही है, रचा गया हम सबका तन।। गिरिवर गण रक्षा करते हैं, उच्च… Read More »मन्नन द्विवेदी गजपुरी की रचनाएँ

मनोहर ‘साग़र’ पालमपुरी की रचनाएँ

फूल क्यों मुरझा रहा है आ गया मधुमास लेकिन फूल क्यों मुरझा रहा है शम्अ तो जलती है उसपर आज परवाने नहीं हैं प्यार में… Read More »मनोहर ‘साग़र’ पालमपुरी की रचनाएँ