शैलेन्द्र सिंह दूहन की रचनाएँ
आ अधरों पे तू ही तू है हर मौसम की तू खुशबू है। आ अधरों पे तू ही तू है। तुझ बिन निश-दिन गहन तमी… Read More »शैलेन्द्र सिंह दूहन की रचनाएँ
आ अधरों पे तू ही तू है हर मौसम की तू खुशबू है। आ अधरों पे तू ही तू है। तुझ बिन निश-दिन गहन तमी… Read More »शैलेन्द्र सिंह दूहन की रचनाएँ
चंदा मामा, घर आ जाओ चंदा मामा, चंदा मामा, मेरे घर आ जाओ मामा! चंदा मामा, चंदा मामा कहाँ तुम्हारा नया पजामा? ऊपर से मुसकाते… Read More »किशोरकुमार कौशल की रचनाएँ
अम्बिन तैं अम्बर तैं अम्बिन तैं अम्बर तैं, द्रुमनि दिगम्बर तैं अपर अडंबर तैं, सखि सरसो परै। कोकिल की कूकन तैं, हियन की कन तैं,… Read More »किशोर की रचनाएँ
एक नन्ही चिड़िया यह कैसा है महावृत्त जो है अपरिमित जिसमें व्यास है न त्रिज्या उसे छूना जितना चाहूँ उसकी परिधि भी लगती है तब… Read More »किशोर कुमार खोरेन्द्र की रचनाएँ
तुम्हे लगता है तुम्हे लगता है बड़े सवेरे चिड़िया गीत गाकर शायद खुश हो रही है तुम्हे क्या पता वह इस बहाने अपना कोई दुखड़ा… Read More »किशोर काबरा की रचनाएँ
कि जैसे हो महाराजे ई ससुरी रोटी-दाल तेल तरकारी चीनी चावल, रोज़ी निकली खोटी भक्ति के आगे दुम दबा कर विकास है भागे भई वाह !… Read More »शैलेन्द्र शान्त की रचनाएँ
सावन के झूले यादों में शेष रहे सावन के झूले गाँव-गाँव फैल गई शहरों की धूल छुईमुई पुरवा पर हँसते बबूल रह-रहके सूरज तरेरता है… Read More »शैलेन्द्र शर्मा की रचनाएँ
गीत कवि की व्यथा १ ओ लेखनी विश्राम कर अब और यात्रायें नहीं मंगल कलश पर काव्य के अब शब्द के स्वस्तिक न रच अक्षम… Read More »किशन सरोज की रचनाएँ
पेड़ होने का मतलब समझते हैं लोग क्या पेड़ से होने से,उसके न होने से पेड़ का मतलब छाया, हवा,लकड़ी, हरियाली पेड़ जब सनसनाते सन्नाटे… Read More »शैलेन्द्र चौहान की रचनाएँ
बूढा बरगद का पेड़ बोला मेरी ही टहनियों को काटकर छाँव की तलाश में भटक रहे लोग कराहते हुए कहीं यहीं पर जैसे बूढा बरगद… Read More »किशन कारीगर की रचनाएँ