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Poetry

चंद्रसेन विराट की रचनाएँ

उतारी जाए अब हथेली न पसारी जाए. धार पर्वत से उतारी जाए. अपनी जेबो में भरे जो पानी उसकी गर्दन पे कटारी जाए. अब वो… Read More »चंद्रसेन विराट की रचनाएँ

चंद्रमोहन ‘दिनेश’की रचनाएँ

बिल्ली रानी बिल्ली रानी बहुत भली पहन-ओढ़ कर कहाँ चली? क्या चूहों की शामत है? नहीं, खीर की दावत है! जिसकी लाठी उसकी भैंस चूजा… Read More »चंद्रमोहन ‘दिनेश’की रचनाएँ

चंद्रभूषण की रचनाएँ

तुम्हें नहीं लगता बहुत देर हो चुकी है कहते कहते कि देर हो चुकी है तुम्हें नहीं लगता? वह सुकूनदेह झुटपुटा जिसमें खुशी-खुशी हम चलते… Read More »चंद्रभूषण की रचनाएँ

चंद्रभानु भारद्वाज की रचनाएँ

बराबर उसके कद के यों मेरा कद हो नहीं सकता बराबर उसके कद के यों मेरा कद हो नहीं सकता वो तुलसी हो नहीं सकता… Read More »चंद्रभानु भारद्वाज की रचनाएँ

चंद्रपाल सिंह यादव ‘मयंक’की रचनाएँ

जादूगर अलबेला छू, काली कलकत्ते वाली! तेरा वचन न जाए खाली। मैं हूँ जादूगर अलबेला, असली भानमती का चेला। सीधा बंगाले से आया, जहाँ-जहाँ जादू… Read More »चंद्रपाल सिंह यादव ‘मयंक’की रचनाएँ

चंद्रधर शर्मा ‘गुलेरी’की रचनाएँ

झुकी कमान (1) आए प्रचंड रिपु, शब्द सुन उन्हीं का, भेजी सभी जगह एक झुकी कमान ज्यों युद्ध चिह्न समझे सब लोग धाए, त्यों साथ… Read More »चंद्रधर शर्मा ‘गुलेरी’की रचनाएँ

चंद्रदत्त ‘इंदु’ की रचनाएँ

बोल मेरी मछली हरा समंदर गोपी चंदर, बोल मेरी मछली कितना पानी? ठहर-ठहर तू चड्ढी लेता, ऊपर से करता शैतानी! नीचे उतर अभी बतलाऊँ, कैसी… Read More »चंद्रदत्त ‘इंदु’ की रचनाएँ

चंद्र रेखा ढडवाल की रचनाएँ

असल में आदमी असल में एक घोड़ा सवार बिठाए बिठाए न भी दौड़े एक काठी तो बिँधी ही रहती है उसकी माँस-मज्जा से. एक गुलमोहर… Read More »चंद्र रेखा ढडवाल की रचनाएँ

चंद्र कुमार जैन की रचनाएँ

  एक दीप सूरज के आगे लीक से हटकर अलग चाहे हुआ अपराध मुझसे, सच कहूँ, सूरज के आगे दीप मैंने रख दिया है ! प्रश्नों… Read More »चंद्र कुमार जैन की रचनाएँ

चंदबरदाई की रचनाएँ

प्रन्म्म प्रथम मम आदि देव प्रन्म्म प्रथम मम आदि देव ऊंकार सब्द जिन करि अछेव निरकार मध्य साकार कीन मनसा विलास सह फल फलीन बरन्यौ… Read More »चंदबरदाई की रचनाएँ