वाजिद अली शाह की रचनाएँ
गर्मियाँ शोखियाँ किस शान से हम गर्मियाँ शोख़ियाँ किस शान से हम देखते हैं क्या ही नादानियाँ नादान से हम देखते हैं ग़ैर से बोसा-ज़नी… Read More »वाजिद अली शाह की रचनाएँ
गर्मियाँ शोखियाँ किस शान से हम गर्मियाँ शोख़ियाँ किस शान से हम देखते हैं क्या ही नादानियाँ नादान से हम देखते हैं ग़ैर से बोसा-ज़नी… Read More »वाजिद अली शाह की रचनाएँ
पता नहीं क्या था मेरा, तुम्हारे पास आना तीर-बिंधे हंस का सिद्धार्थ के पास आना था; तुम्हारा मुझे देवव्रतों को सौंप देना पता नहीं क्या… Read More »क्रांति की रचनाएँ
कैसी होगी मेरी पहली रचना रोज सुनूँ मैं अच्छी अच्छी बातें, मिलती थी नवचिंतन की सौगातें। मधुर मिलन की या पखेरु सा होना, कैसी होगी… Read More »कौशलेन्द्र शर्मा ‘अभिलाष’ की रचनाएँ
शिकार विषादयुक्त चेहरे चेहरों पर चढ़े मुखौटे टँगे हैं जैसे खूँटी पर एक दो तीन चार… गिनती में शायद वे दस हैं तलाशते हुए कोई… Read More »वाज़दा ख़ान की रचनाएँ
वह छुअन अनेकों ही छवि-चित्र लय और गीत, कथा-कहानी, समायी हैं चहुँ ओर। जतन जुटाते हैं लाखों पकड़ने को अपनी-अपनी विध से। पकड़ में तो… Read More »कौशल्या गुप्ता की रचनाएँ
नई शुरुआत यह कविता मई 1974 की रेल हड़ताल के दौरान लिखी गई थी दादी सुना नहीं तुमने बाबूजी हड़ताल पर हैं कन्धे पर यूनियन… Read More »कौशल किशोर की रचनाएँ
इब्राहीम दीदा मुख़ातिब आसमाँ है या ज़मीं मालूम कर लेना कि दोनों के लिए तश्बीब के मिसरे अलग से हैं कहीं ऐसा न हो कि… Read More »वहाब दानिश की रचनाएँ
आँख में जलवा तिरा दिल में तिरी याद रहे आँख में जलवा तिरा दिल में तिरी याद रहे ये मयस्सर हो तो फिर क्यूँ कोई… Read More »‘वहशत’ रज़ा अली कलकत्वी
बरसों के रत-जगों की थकन खा गई मुझे बरसों के रत-जगों की थकन खा गई मुझे सूरज निकल रहा था के नींद आ गई मुझे… Read More »‘क़ैसर’-उल जाफ़री की रचनाएँ
आतिश-ए-सोज़-ए-मोहब्बत को बुझा सकता हूँ मैं आतिश-ए-सोज़-ए-मोहब्बत को बुझा सकता हूँ मैं दीदा-ए-पुर-नम से इक दरिया बहा सकता हूँ मैं हुस्न-ए-बे-परवा तेरा बस इक इशारा… Read More »‘क़ैसर’ निज़ामी की रचनाएँ