सपन सारन की रचनाएँ
ऐ कवि ! जब देश में दंगा हो रहा था ऐ कवि, तू तब कहाँ था ? — मेरे गुसल का नल टूटा था पानी बहता… Read More »सपन सारन की रचनाएँ
ऐ कवि ! जब देश में दंगा हो रहा था ऐ कवि, तू तब कहाँ था ? — मेरे गुसल का नल टूटा था पानी बहता… Read More »सपन सारन की रचनाएँ
गुजरात और इराक की माएं अभी दस दिन सिर्फ दस दिन हुए हैं मेरे बच्चे को घर से गये कपड़े उसके मैंने ही रखे थे… Read More »सपना चमड़िया की रचनाएँ
चलो कि हम भी ज़माने के साथ चलते हैं चलो कि हम भी ज़माने के साथ चलते हैं नहीं बदलता ज़माना तो हम बदलते हैं… Read More »सदा अम्बालवी की रचनाएँ
योद्धा बनें, आज वतन की आस लोग सभी खामोश हैं, दुबके सभी प्रधान! सरकारी सेवक बनें, सब के दयानिधान! कोरोना से लड़ रहे, भूलें आज… Read More »सत्यवान सौरभ की रचनाएँ
यह घड़ी सामने जो बुत बनी-सी चुप खड़ी है वह परीक्षण की घड़ी है डेस्क पर रक्खे पड़े हैं कई कोरे पृष्ठ अँगुलियों में जड़… Read More »सत्येन्द्र श्रीवास्तव की रचनाएँ
कुहूकिनी रे! कुहूकिनी रे, बौराए देती है तेरी आवाज़. कहीं सेमल का फूल कोई चटखा है लाल तेरी हथेली का रंग मुझे याद आया है… Read More »सत्यानन्द निरुपम की रचनाएँ
होली के छंद होरी है होरी आज, खेलो ब्रजराज कृष्ण, ब्रजबाला संग रंग डारे बरजोरी है। राधा कृष्ण रंगे रंग, गुवालिये बजावे चंग, नांच रही… Read More »शिवदीन राम जोशी की रचनाएँ
भूख क्या यह त्रासदी नहीं है- कि मेरी भाषा के विशाल शब्दकोश में भूख का कोई पर्यायवाची नहीं है! और मेरा यह कहना कि मैं… Read More »सत्यप्रकाश बेकरार की रचनाएँ
दिनांक आज इतनी हलचलें हैं कि सिर्फ हलचलें हैं उदासी का चेहरा सिर्फ खुद हो नज़र आता है सभी कोनों में सिर्फ रोशनी और आवाज़ें… Read More »सत्यपाल सहगल की रचनाएँ
अगला सफ़र तवील नहीं वो दिन भी आए हैं उस की सियाह ज़ुल्फ़ों में कपास खिलने लगी है, झलकती चाँदी के कशीदा तार चमकने लगे… Read More »सत्यपाल आनंद की रचनाएँ