अनुपमा पाठक की रचनाएँ
इंसानियत का आत्मकथ्य गुज़रती रही सदियाँ बीतते रहे पल आए कितने ही दलदल पर झेल सब कुछ अब तक अड़ी हूँ मैं ! अटल खड़ी हूँ… Read More »अनुपमा पाठक की रचनाएँ
इंसानियत का आत्मकथ्य गुज़रती रही सदियाँ बीतते रहे पल आए कितने ही दलदल पर झेल सब कुछ अब तक अड़ी हूँ मैं ! अटल खड़ी हूँ… Read More »अनुपमा पाठक की रचनाएँ
कुछ शब्दों की लौ सी सृष्टि का एक भाग अंधकारमय करता हुआ, विधि के प्रवर्तन से बंधा जब डूबता है सूरज सागर की अतल गहराइयों… Read More »अनुपमा त्रिपाठी की रचनाएँ
आदमी के अन्दर रहता है एक और आदमी आदमी के अन्दर रहता है एक और आदमी रहते हैं दोनों साथ-साथ पर खूब झगड़ते हैं चलते… Read More »अनुपमा तिवाड़ी की रचनाएँ
किस देस चलूँ मौला किस राह चलूँ, किस देस चलूँ मौला राम कहूँ या रहीम कहूँ, किस भेस छलूँ मौला!!! सदयुग, द्वापर, त्रेता सब युग… Read More »अनुपमा चौहान की रचनाएँ
हम औरतें हैं मुखौटे नहीं वह अपनी भट्ठियों में मुखौटे तैयार करता है उन पर लेबुल लगाकर, सूखने के लिए लग्गियों के सहारे टाँग देता… Read More »अनुपम सिंह की रचनाएँ
हाँ! मैं कविता लिख देता हूँ! हाँ! मैं कविता लिख देता हूँ! जब दिल में रखी कोई बात बहुत दिनों के बाद सुलगाने लगे मेरे… Read More »अनुपम कुमार की रचनाएँ
बाघ जंगल पहाड़ी के इस ओर है औरबाघ पहाड़ी के उस पारपहाड़ी के उस पार महानगर है, उसने अपने नाख़ून बढ़ा लिए हैंउसकी आँखेंपहले से… Read More »अनुज लुगुन की रचनाएँ
कोई पूछता चावल,बोरे में बचा था कुछ चावल,चावल — जिससे मिटाते हैं भूख,चावल बस एक समय का । इन्तज़ार,रात का इन्तज़ार,स्याह होने का इन्तज़ार,इन्तज़ार-तारों का… Read More »अनुज कुमार की रचनाएँ
क्या करेंगे आप मेरे दिल का मंजर देखकर क्या करेंगे आप मेरे दिल का मंजर देखकर ख़ामुखा हैरान होंगे इक समंदर देखकर ये अमीरों की… Read More »अनुज ‘अब्र’ की रचनाएँ
एक भी गुल पर कहीं नाम-ओ-निशाँ मेरा नहीं एक भी गुल पर कहीं नाम-ओ-निशाँ मेरा नहीं ये चमन मेरा नहीं ये गुलिस्ताँ मेरा नहीं। एक… Read More »अनु जसरोटिया की रचनाएँ