हुकम ठाकुर की रचनाएँ
भोर का तारा.. रात की पूछापेखी के बाद नीले घोड़े पर सवार रोज़ मेरा द्वार खटखटाता है भोर का तारा गाँव के निकट बहती नदी… Read More »हुकम ठाकुर की रचनाएँ
भोर का तारा.. रात की पूछापेखी के बाद नीले घोड़े पर सवार रोज़ मेरा द्वार खटखटाता है भोर का तारा गाँव के निकट बहती नदी… Read More »हुकम ठाकुर की रचनाएँ
Paragraph काला धन मै अदना सा कलमकार हूँ घायल मन की आशा कामुझको कोई ज्ञान नहीं है छंदों की परिभाषा काजो यथार्थ में दीख रहा… Read More »हरिओम पंवार की रचनाएँ
पानी में पौर अगन नाचे सावन चहुँ ओर सघन नाचे चंचल मनमोर मगन नाचे। सन-सन की बीन बजे मेघों का मांदर झम-झम की झांझ और… Read More »हंसकुमार तिवारी की रचनाएँ
अछूत की शिकायत हमनी के राति दिन दुखवा भोगत बानी हमनी के साहेब से मिनती सुनाइबि। हमनी के दुख भगवानओं न देखता ते, हमनी के… Read More »हीरा डोम की रचनाएँ
ओ माँ वंदन को स्वीकारो पूजन को स्वीकारो अक्षर-अक्षर शब्द ब्रह्म है वीणापाणी रूप रम्य है वाणी में नव रूप उभारो वन्दन को स्वीकारो। धवल… Read More »हरीश प्रधान की रचनाएँ
सूरज लगे आग का गोला सूरज लगे आग का गोला चंदा लगे कटोरी, सूरज किरनें पीला सोना लगे चाँदनी गोरी। बड़ा अनोखा इंद्रधनुष है सतरंगा… Read More »हरि मृदुल की रचनाएँ
हंस कहाँ मिलिहैं अब तो बर हंस कहाँ मिलिहैं अब तो बर भक्ति के भाव वे पूरब वारे । तीरथ मे छहरात न शांति सदाँ… Read More »हंस की रचनाएँ
परतों का अन्तर्विरोध नदी जो ऊपर से एक दिखती है, कई परतों से बनी है। नदी, जो ऊपर-ऊपर जोरों से बहती है नीचे जाकर हो… Read More »हीरालाल की रचनाएँ
राजस्थानी कविता संग्रह बाथां में भूगोल रेत रै समंदर रौ पांणी खाथौ चाल रे खाथौ चाल रे कमतरिया देखलै सींवपाछौ धिरयौ हैरंभावतौ रेवड़उठतै रेतड़ सूंकंवळाइजै… Read More »हरीश भादानी की रचनाएँ
हंगामा है क्यूँ बरपा हंगामा है क्यूँ बरपा, थोड़ी सी जो पी ली है डाका तो नहीं डाला, चोरी तो नहीं की है ना-तजुर्बाकारी से,… Read More »अकबर इलाहाबादी की रचनाएँ