विजेंद्र एस विज की रचनाएँ
मेरे स्टूडियो की छत पर मेरे स्टूडियो की छत पर एक कोने में, तार से, बल्ब लटका है वहां नीचे, जहाँ मैं बैठता हूँ पढता… Read More »विजेंद्र एस विज की रचनाएँ
मेरे स्टूडियो की छत पर मेरे स्टूडियो की छत पर एक कोने में, तार से, बल्ब लटका है वहां नीचे, जहाँ मैं बैठता हूँ पढता… Read More »विजेंद्र एस विज की रचनाएँ
दोपहरी सूनापन एक बेहूदा मज़ाक है दोपहर उसे नज़रअंदाज़ कर देना चाहती हूँ लेकिन ये बेरोज़गार सन्नाटा धरना दिए बैठा है और मैं शाम की… Read More »विजया सती की रचनाएँ
आखिर कब तक गाँठ से छूट रहा है समय हम भी छूट रहे हैं सफर में छूटी मेले जाती बैलगाड़ी दौड़ते-दौड़ते चप्पल भी छूट गई… Read More »विजयशंकर चतुर्वेदी की रचनाएँ
उभयचर-1 चेस्वाव मिवोश और विष्णु खरे के लिए दुख भरा था तुममें दुख से भरा यह जग था इस जग का तुम मानते नहीं थे… Read More »गीत चतुर्वेदी की रचनाएँ
तुम मेरे साथ तुम मेरे साथ एक दो क़दम चलने का अभिनय मत करो एक ही बिंदू पर खड़े-खड़े दूरियां तय मत करो..! तुमको जानता… Read More »गिरीष बिल्लोरे ‘मुकुल’ की रचनाएँ
माँ सरस्वती जय, जय, जय हे माँ सरस्वती, तुमको आज निहार रहा हूँ । अपने हाथ पसार रहा हूँ ।। ज्ञान-शून्य हो भटक रहा हूँ,… Read More »गिरीश पंकज की रचनाएँ
पद / 1 अद्भुत रचाय दियो खेल देखो अलबेली की बतियाँ। कहुँ जल कहुँ थल गिरि कहूँ कहूँ कहूँ वृक्ष कहूँ बेल॥ कहूँ नाश दिखराय… Read More »गिरिराज कुवँरि की रचनाएँ
चमत्कार की प्रतीक्षा क्या अब भी कोई चमत्कार घटित होगा ? जैसे कि ऊपर से गुजरती हुई हवा तुम्हारे सामने साकार खड़ी हो जाए और तुम्हारा… Read More »विजयदेव नारायण साही की रचनाएँ
मेरे रोम—रोम में ऊषा छाई ! मेरे रोम-रोम में ऊषा छाई! सकल विश्व देखा करता है असीम अम्बर के मानस पर छाकर रजनी की श्यामल… Read More »विजयदान देथा ‘बिज्जी’ की रचनाएँ
डोकरी फूलो धूप हो या बरसात ठण्ड हो या लू मुड़ में टुकनी उठाए नंगे पाँव आती है दूर गाँव से शहर दोना-पत्तल बेचने वाली… Read More »विजय सिंह की रचनाएँ