गंगासहाय ‘प्रेमी’ की रचनाएँ
दस्ताने टिल्लू जी के हाथ पड़ गए मम्मी के दस्ताने, कुछ भी नहीं समझ में आया घंटों खींचे-ताने। पैरों में तो तंग एकदम हाथों में… Read More »गंगासहाय ‘प्रेमी’ की रचनाएँ
दस्ताने टिल्लू जी के हाथ पड़ गए मम्मी के दस्ताने, कुछ भी नहीं समझ में आया घंटों खींचे-ताने। पैरों में तो तंग एकदम हाथों में… Read More »गंगासहाय ‘प्रेमी’ की रचनाएँ
बोल के तो देख अन्धकार है, तो अन्धकार बोल के तो देख सरकार है, तो सरकार बोल के तो देख अब तो मैदान खुला है… Read More »गंगाराम परमार की रचनाएँ
झूलत कदम तरे मदन गोपाल लाल झूलत कदम तरे मदन गोपाल लाल, बाल हैं बिशाल झुकि झोंकनि झुलावती।१। कोई सखी गावती बजावती रिझावती, घुमड़ि घुमड़ि… Read More »गंगादास की रचनाएँ
शेष शेष कई बार लगता है मैं ही रह गया हूँ अबीता पृष्ठ बाकी पृष्ठों पर जम गई है धूल। धूल के बिखरे कणों में… Read More »गंगा प्रसाद विमल की रचनाएँ
फूट गये हीरा की बिकानी कनी हाट हाट फूट गये हीरा की बिकानी कनी हाट हाट, काहू घाट मोल काहू बाढ़ मोल को लयो। टूट… Read More »गँग की रचनाएँ
आँख में अश्क लिए ख़ाक लिए दामन में आँख में अश्क लिए ख़ाक लिए दामन मेंएक दीवाना नज़र आता है कब से बन में मेरे… Read More »‘गुलनार’ आफ़रीन की रचनाएँ
अभी मिटे भी नहीं, पीठ पर से निशान कल के अभी मिटे भी नहीं, पीठ पर से निशान कल के और पाँव आने वाले भी… Read More »विजय किशोर मानव की रचनाएँ
अता के रोज़-ए-असर से भी टूट सकती थी अता के रोज़-ए-असर से भी टूट सकती थी वो शाख़ बार-ए-समर से भी टूट सकती थी मैं… Read More »‘खावर’ जीलानी की रचनाएँ
भूषण स्वेत महा छवि सुंदर सानि सुवास रची सब सोने भूषण स्वेत महा छवि सुंदर सानि सुवास रची सब सोने । गोरे से अँग गरूर… Read More »खेम की रचनाएँ
आरज़ूएँ ना-रसाई रू-ब-रू मैं और तू आरज़ूएँ ना-रसाई रू-ब-रू मैं और तू क्या अजब क़ुर्बत थी वो भी मैं न तू मैं और तू झुटपुटा… Read More »खातिर ग़ज़नवी की रचनाएँ