Skip to content

‘खावर’ जीलानी

‘खावर’ जीलानी की रचनाएँ

अता के रोज़-ए-असर से भी टूट सकती थी अता के रोज़-ए-असर से भी टूट सकती थी वो शाख़ बार-ए-समर से भी टूट सकती थी मैं… Read More »‘खावर’ जीलानी की रचनाएँ