अरुणा राय की रचनाएँ
दुनिया को बोलती-बतियाती / अरुणा राय दुनिया को बोलती-बतियाती, घूमती-फिरती, हंसती-ठहहाती, बूझती-समझती, चलती-उडती, सजती-सवरती, गुनती-बुनती, नकारती-फुफकारती औरतें चुभती हैं! मौन भी अपना मौन भी अपना… Read More »अरुणा राय की रचनाएँ
दुनिया को बोलती-बतियाती / अरुणा राय दुनिया को बोलती-बतियाती, घूमती-फिरती, हंसती-ठहहाती, बूझती-समझती, चलती-उडती, सजती-सवरती, गुनती-बुनती, नकारती-फुफकारती औरतें चुभती हैं! मौन भी अपना मौन भी अपना… Read More »अरुणा राय की रचनाएँ
आवारा कवि अपनी आवारा कविताओं में – पहाड़ से उतरती नदी में देखता हूँ पहाड़ी लड़की का यौवन! हवाओं में सूंघता हूँ उसके आवारा होने… Read More »अरुण श्री की रचनाएँ
सांवली रात सुबह की पहली किरण पपनी पर पड़ती गई और मैं सुंदर होता गया शाम की अंतिम किरण अंतस पर गिरती गई और मैं… Read More »अरुण शीतांश की रचनाएँ
ग़ालिब ग़ालिब पर सोचते हुए वह दिल्ली याद आई जिसके गली-कूचे अब वैसे न थे आसमान में परिंदों के लिए कम थी जगह उड़कर जाते… Read More »अरुण देव की रचनाएँ
ईश्वर और इन्टरनेट बाज़ार है सजा ईश्वर और इन्टरनेट दोनों का । ईश्वर और इन्टरनेट इक जैसे हैं ईश्वर विश्वव्यापी है इन्टरनेट भी कण-कण में… Read More »अरुण चन्द्र रॉय की रचनाएँ
कॉक्रोच जूतों और डिब्बों में छिप कर जीने का चलन तलुवों में रहने और डर-डर कर जीने की संस्कृति कॉक्रोच का जीना भी कोई जीना… Read More »अरुण कुमार नागपाल की रचनाएँ
उम्मीद आज तक मैं यह समझ नहीं पाया कि हर साल बाढ़ में पड़ने के बाद भी लोग दियारा छोड़कर कोई दूसरी जगह क्यों नहीं… Read More »अरुण कमल की रचनाएँ
अम्मा की चिट्ठी गाँवों की पगडण्डी जैसे टेढ़े अक्षर डोल रहे हैं अम्मा की ही है यह चिट्ठी एक-एक कर बोल रहे हैं अड़तालीस घंटे… Read More »अरुण आदित्य की रचनाएँ
आसार-ए-रिहाई हैं ये दिल बोल रहा है आसार-ए-रिहाई हैं ये दिल बोल रहा है सय्याद सितम-गर मेरे पर खोल रहा है जामे से हवा जाता… Read More »अरशद अली ख़ान ‘क़लक़’ की रचनाएँ
रुकते हुए क़दमों का चलन मेरे लिए है रुकते हुए क़दमों का चलन मेरे लिए है सय्यारा-ए-हैरत की थकन मेरे लिए है मेरा कोई आहू… Read More »‘अरशद’ अब्दुल हमीद की रचनाएँ