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सुभाष काक की रचनाएँ

दर्पण दर्पण में कई पशु अपने को पहचानते नहीं। मानव पहचानते तो हैं पर प्रत्येक असन्तुष्ट है अपने रूप से। दर्पण से पहले का क्षेत्र… Read More »सुभाष काक की रचनाएँ

सुभद्राकुमारी चौहान की रचनाएँ

अनोखा दान अपने बिखरे भावों का मैं गूँथ अटपटा सा यह हार। चली चढ़ाने उन चरणों पर, अपने हिय का संचित प्यार॥ डर था कहीं… Read More »सुभद्राकुमारी चौहान की रचनाएँ

सुब्रह्मण्यम भारती की रचनाएँ

यह है भारत देश हमारा चमक रहा उत्तुंग हिमालय, यह नगराज हमारा ही है। जोड़ नहीं धरती पर जिसका, वह नगराज हमारा ही है। नदी… Read More »सुब्रह्मण्यम भारती की रचनाएँ

सुन्दरचन्द ठाकुर की रचनाएँ

गृहविज्ञान वे कौन सी तब्दीलियाँ थीं परम्पराओं में कैसी थीं वे जरूरतें सभ्यता के पास कोई पुख़्ता जवाब नहीं गृहविज्ञान आखिर पाठ्यक्रम में क्यों शामिल… Read More »सुन्दरचन्द ठाकुर की रचनाएँ

सुन्दरकुवँरि बाई की रचनाएँ

आज्ञा लहि घनश्याम का चली सखा वहि कुंज आज्ञा लहि घनश्याम का चली सखा वहि कुंज। जहाँ विराज मानिना श्री राधा-मुख पुंज॥ श्री राधा मुख-पुंज… Read More »सुन्दरकुवँरि बाई की रचनाएँ

सुनील श्रीवास्तव की रचनाएँ

कविता का समय ’लिखने से कुछ नहीं होगा कविता लिखने से तो बिल्कुल नहीं कुछ’ — यह बात लौटती ट्रेन में मुझसे एक बूढ़े बड़े… Read More »सुनील श्रीवास्तव की रचनाएँ

सुनील कुमार पाठक की रचनाएँ

हम आ हमार बाबा  हमरा झाँझर पलनिया पर- अभियो हरसिंगार झरेला, ओ गछिया से- जवना के हमार बाबा लगवले रहस, बाकिर, अब हम पलनिया के… Read More »सुनील कुमार पाठक की रचनाएँ

सुनीता शानू की रचनाएँ

मन पखेरु उड़ चला फिर नेह की नजरों से मुझको ऐसे देखा आपने। मन-पखेरु उड़ चला फिर आसमां को नापने। कामना का बाँध टूटा- ग्रंथियां… Read More »सुनीता शानू की रचनाएँ

सुनीता जैन की रचनाएँ

ऋण फूलों-सा इस काया को जिस माया ने जन्म दिया, वह माँग रही-कि जैसे उत्सव के बाद दीवारों पर हाथों के थापे रह जाते जैसे… Read More »सुनीता जैन की रचनाएँ

सुनीता काम्बोज की रचनाएँ

ये नफ़रत का असर कब तक रहेगा ये नफ़रत का असर कब तक रहेगा नगर सहमा हुआ कब तक रहेगा हक़ीक़त जान जाएगा तुम्हारी ज़माना… Read More »सुनीता काम्बोज की रचनाएँ