Skip to content

सतीश शुक्ला ‘रक़ीब’ की रचनाएँ

वो जुदा हो के रह न पाया है वो जुदा हो के रह न पाया है रूठकर खुद मुझे मनाया है ज़िंदगी धूप में कटी… Read More »सतीश शुक्ला ‘रक़ीब’ की रचनाएँ

सतीश चौबे की रचनाएँ

रोशन हाथों की दस्तकें प्राची की सांझ और पश्चिम की रात इनकी वय:संधि का जश्न है आज मज़ारों पर चिराग बालने वाले हाथ (जो शायद… Read More »सतीश चौबे की रचनाएँ

सज्जाद बाक़र रिज़वी की रचनाएँ

ग़ज़लें अपने जीने को क्या पूछो सुब्ह भी गोया रात रही  अपने जीने को क्या पूछो सुब्ह भी गोया रात रही तुम भी रूठे जग… Read More »सज्जाद बाक़र रिज़वी की रचनाएँ

‘सज्जन’ धर्मेन्द्र की रचनाएँ

ग़ज़लें महीनों तक तुम्हारे प्यार में इसको पकाया है महीनों तक तुम्हारे प्यार में इसको पकाया है। तभी जाके ग़ज़ल पर ये गुलाबी रंग आया… Read More »‘सज्जन’ धर्मेन्द्र की रचनाएँ

सजीव सारथी की रचनाएँ

मिलन हम मिलते रहे, रोज मिलते रहे, तुमने अपने चेहरे के दाग, पर्दों में छुपा रखे थे, मैंने भी सब जख्म अपने , बड़ी सफाई… Read More »सजीव सारथी की रचनाएँ

सईददुद्दीन की रचनाएँ

अलग अलग इकाइयां सुब्ह से मैं उस घड़ी की टिक टिक सुन रहा हूँ जो दीवार से अचानक ग़ाएब हो गई है लेकिन हर घंटे… Read More »सईददुद्दीन की रचनाएँ

सईद राही की रचनाएँ

अपने ख़्वाबों को तेरी आँख में जलता देखूँ अपने ख़्वाबों को तेरी आँख में जलता देखूँ मेरी हसरत है तुझे नींद में चलता देखूँ मेरा… Read More »सईद राही की रचनाएँ

सईद अहमद की रचनाएँ

ग़ज़लें इक बर्ग-ए-ख़ुश्क से गुल-ए-ताज़ा तक आ गए इक बर्ग-ए-ख़ुश्क से गुल-ए-ताज़ा तक आ गए हम शहर-ए-दिल से जिस्म के सहरा तक आ गए उस… Read More »सईद अहमद की रचनाएँ

सआदत यार ख़ाँ रंगीन की रचनाएँ

अब मेरी दो-गाना को मिरा ध्यान है क्या ख़ाक अब मेरी दो-गाना को मिरा ध्यान है क्या ख़ाक इंसान की अन्ना उसे पहचान है क्या… Read More »सआदत यार ख़ाँ रंगीन की रचनाएँ

संध्या रिआज़ की रचनाएँ

भूख  भूख क्यों लगती है आदमी को भी या भूख ही क्यों लगती है आदमी को बहुत सारी अपनी परायी आकांक्षायें-इच्छायें और एहसास खाकर भी… Read More »संध्या रिआज़ की रचनाएँ