कविता गौड़ की रचनाएँ
सोच सोच टूटे दरख़्त टूटे घर टूटे रिश्ते बड़े होटल बड़े काम्पलेकस बड़े देश बड़ी लालसा बड़ी रिश्वत बड़ी शत्रुता बड़ा काण्ड बडा स्वार्थ बड़ा… Read More »कविता गौड़ की रचनाएँ
सोच सोच टूटे दरख़्त टूटे घर टूटे रिश्ते बड़े होटल बड़े काम्पलेकस बड़े देश बड़ी लालसा बड़ी रिश्वत बड़ी शत्रुता बड़ा काण्ड बडा स्वार्थ बड़ा… Read More »कविता गौड़ की रचनाएँ
है समंदर को सफीना कर लिया है समंदर को सफ़ीना कर लिया हमने यूँ आसान जीना कर लिया अब नहीं है दूर मंजिल सोचकर साफ़… Read More »कविता “किरण” की रचनाएँ
मेरी गुड़िया मेरी गुड़िया बड़ी सयानी, पढ़कर आई है हल्द्वानी। सूरत से लगती सेठानी, दिनभर सुनती नई कहानी। उसके पीले हाथ करूँगी, अब उसकी शादी… Read More »कल्याण कुमार जैन ‘शशि’ की रचनाएँ
चिन्मय भोर ढूंढ लायें क्यारियों से एक चिन्मय भोर फिर बाँटें उजाले। चिमनियों ने छितिज से शबनम चुराई रात रोई बुलबुलों ने कंठ मे सरगम… Read More »कल्पना ‘मनोरमा’ की रचनाएँ
दिन एक सितम, एक सितम रात करो हो दिन एक सितम, एक सितम रात करो हो । वो दोस्त हो, दुश्मन को भी जो मात… Read More »कलीम आजिज़ की रचनाएँ
मेरा शहर एक सुलगते शहर की लम्बी संकरी गलियां अपनी वही पुरानी बास समोये जिसमे परिवर्तन की चेतना इस कम्प्यूटर और जेट युग में भी… Read More »कल्पना सिंह-चिटनिस की रचनाएँ
गम रो रो के कहता हूँ कुछ उस से अगर अपना गम रो रो के कहता हूँ कुछ उस से अगर अपना तो हँस के… Read More »क़लंदर बख़्श ‘ज़ुरअत’ की रचनाएँ
बल्गारियन लोकगीत को सुनकर धरती के पाँच सौ वर्ष नीचे से गर्म झरने-सी फूटकर आ रही है यह आवाज़ । कुस्तेंदिल की प्रत्यंचा का तीर… Read More »कर्णसिंह चौहान की रचनाएँ
श्मशान बाजार कोई न कोई खरीद रहा होगा कोई न कोई बेच रहा होगा किसी हरवाहे की मूंठ कहीं न कहीं जल रही होगी सखुए… Read More »कर्मानंद आर्य की रचनाएँ