विपुल कुमार की रचनाएँ
खेल-खिलौने जन्म-दिवस पर मिले खिलौने,मुझको लगते बड़े सलोने।पास हैं मेरे दो मृगछौने,ढम-ढम ढोल बजाते बौने।ठुम्मक-ठुम्मक नाचे बाला,एक सिपाही पकडे़ भाला।धुआँ छोड़ता भालू काला,नाचे बंदर चाबी… Read More »विपुल कुमार की रचनाएँ
खेल-खिलौने जन्म-दिवस पर मिले खिलौने,मुझको लगते बड़े सलोने।पास हैं मेरे दो मृगछौने,ढम-ढम ढोल बजाते बौने।ठुम्मक-ठुम्मक नाचे बाला,एक सिपाही पकडे़ भाला।धुआँ छोड़ता भालू काला,नाचे बंदर चाबी… Read More »विपुल कुमार की रचनाएँ
झड़ गए पत्ते सभी झड़ गये पत्ते सभी फिर भी हवा चलती रही पात्र ख़ुद तो चल बसे उनकी कथा चलती रही मंज़िलों से और… Read More »विपिन सुनेजा शायक़ की रचनाएँ
सृजन और अनुवाद सृजन और अनुवाद के बीच स्थिति बड़ी अजब सी होती है कुछ सिर के बाल बढ़े और कुछ दाढ़ी बढ़ी सी होती… Read More »विपिनकुमार अग्रवाल की रचनाएँ
उन ख़ाली दिनों के ना जीवन की धीमी रफ़्तार गिरफ़्त में नहीं आ सकी थीनामालूम सी गतिविधियाँबेबस परेशानियाँ ख़ुद हो गई थीं हलकानमन के घुड़सवारों… Read More »विपिन चौधरी की रचनाएँ
आदत कभी भट्ठी में पिघलता लोहा भी मनमानी पर उतर आता है बन्दूक के बदले हँसिया में ढल जाता है मगर खून पीने की आदत… Read More »विपिन कुमार शर्मा की रचनाएँ
मुन्ना! सो जा सो जा, सो जा, मुन्ना सो जा। आई पास रात की रानी तुम्हें सुनाने मधुर कहानी, परियां उतर रहीं धरती पर सपनों… Read More »विनोदचंद्र पांडेय ‘विनोद’की रचनाएँ
नदी के तीर पर ठहरे नदी के तीर पर ठहरे नदी के बीच से गुजरे कहीं भी तो लहर की बानगी हमको नहीं मिलती हवा… Read More »विनोद श्रीवास्तव की रचनाएँ
छायाचित्र 1. फाटोग्राफ: जीवन की फिल्म का फ्रीज कर दिया गया दृश्य। 2. जीवन: सृष्टि की फिल्म के फ्रीज कर दिए गए दृश्यों का एलबम।… Read More »विनोद शर्मा की रचनाएँ
ज़मानेवालों को पहचानने दिया न कभी ज़मानेवालों को पहचानने दिया न कभी। बदल-बदल के लिबास अपने इनक़लाब आया॥ सिवाय यास न कुछ गुम्बदे-फ़लक से मिला।… Read More »साक़िब लखनवी की रचनाएँ
अमानत मोहतसिब के घर शराब-ए-अर्ग़वाँ रख दी अमानत मोहतसिब के घर शराब-ए-अर्ग़वाँ रख दी तो ये समझो कि बुनियाद-ए-ख़राबात-ए-मुग़ाँ रख दी कहूँ क्या पेश-ए-ज़ाहिद क्यूँ… Read More »साइल देहलवी की रचनाएँ