केशव की रचनाएँ
एक भूत में होत, भूत भज पंचभूत भ्रम एक भूत में होत, भूत भज पंचभूत भ्रम। अनिल-अंबु-आकास, अवनि ह्वै जाति आगि सम॥ पंथ थकित मद… Read More »केशव की रचनाएँ
एक भूत में होत, भूत भज पंचभूत भ्रम एक भूत में होत, भूत भज पंचभूत भ्रम। अनिल-अंबु-आकास, अवनि ह्वै जाति आगि सम॥ पंथ थकित मद… Read More »केशव की रचनाएँ
मतवाले बादल आसमान पर छाए बादल! गहरे बादल, काले बादल, दल बाँधे मतवाले बादल! सूरज को दी मात अचानक, दिन में कर दी रात अचानक,… Read More »केवल गोस्वामी की रचनाएँ
जिसने हर इक की ज़रूरत का भरम रक्खा है जिसने हर इक की ज़रूरत का भरम रक्खा है रब ने भी उसकी सख़ावत का भरम… Read More »के. पी. अनमोल की रचनाएँ
रात पिया पिछवारे रात पिया, पिछवारे पहरू ठनका किया । कँप-कँप कर जला दिया बुझ -बुझ कर यह जिया मेरा अंग-अंग जैसे पछुए ने छू… Read More »केदारनाथ सिंह की रचनाएँ
देवता की याचना इतना विस्तृत आकाश-अकेला मैं हूँ तुम अपने सपनों का अधिवास मुझे दो। नीला-नीला विस्तार, हिलोरों में यों ही बहता हूँ सूनी-सूनी झंकार,… Read More »केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात’ की रचनाएँ
मोती बरसा जाता रिमझिम रिमझिम गगन मगन हो मोती बरसा जाता । शतदल के दल दल पर ढलकर नयन नयन के तल में पलकर बरस-… Read More »केदारनाथ पाण्डेय की रचनाएँ
झूम-झूम झूला झूम-झूम झूला झूमता है झूला! घूम-घूम घूमता घूमता है झूला! घोड़ो, चीता, शेर लगा रहे हैं टेर, आओ, जल्दी आओ बड़ी हो गई… Read More »केदारनाथ कोमल की रचनाएँ
जो जीवन की धूल चाट कर बड़ा हुआ है जो जीवन की धूल चाट कर बड़ा हुआ है तूफ़ानों से लड़ा और फिर खड़ा हुआ… Read More »केदारनाथ अग्रवाल की रचनाएँ
सुनो बिटिया समझ लो एक बात बिटिया यह जो जीवन है निरा नाटक है खो मत जाना इसकी चमक में और न ही फिसलना किसी… Read More »कृष्णा वर्मा की रचनाएँ
हिजड़े-1 कहना मुश्किल है कि वे कहाँ से आते हैं खुद जिन्होंने उन्हें पैदा किया ठीक से वे भी नहीं जानते उनके बारे में ज़्यादा… Read More »कृष्णमोहन झा की रचनाएँ