वंशी माहेश्वरी की रचनाएँ
रंग चढ़ते-उतरते हैं रंग रंग उतरते-चढ़ते हैं कितने ही रंग कर जाते हैं रंगीन जीवन मटमैला अदृश्य सीढ़ी हैं रंग आने-जाने वाले दृश्य के बाहर… Read More »वंशी माहेश्वरी की रचनाएँ
रंग चढ़ते-उतरते हैं रंग रंग उतरते-चढ़ते हैं कितने ही रंग कर जाते हैं रंगीन जीवन मटमैला अदृश्य सीढ़ी हैं रंग आने-जाने वाले दृश्य के बाहर… Read More »वंशी माहेश्वरी की रचनाएँ
वह नदी में नहा रही है वह नदी में नहा रही है नदी धूप में और धूप उसके जवान अँगों की मुस्कान मे चमक रही… Read More »कुमारेंद्र पारसनाथ सिंह की रचनाएँ
क्योंकि तख्ता पलट यूँ ही नहीं हुआ करते अब सिर्फ लिखने के लिए नहीं लिखना चाहती थक चुकी हूँ वो ही शब्दों के उलटफेर से… Read More »वंदना गुप्ता की रचनाएँ
रहस्य जीवन का जीवन रूपी रहस्य को मत खोज मानव, डूब जायेगा इसकी गहराई में। तुम से न जाने कितने डूब गये इसमें पर न… Read More »कुमारेन्द्र सिंह सेंगर की रचनाएँ
अघायी औरतें मर्दों के शहर की अघायी औरतें जब उतारू हो जाती हैं विद्रोह पर तो कर देती हैं तार-तार सारी लज्जा की बेड़ियों को… Read More »वंदना गुप्ता की रचनाएँ
देखो आज मुझे मोहब्बत के हरकारे ने आवाज़ दी है सोचती हूँ कभी कभी तुम जिसे मैंने देखा नहीं और मैं जिसे तुमने भी नहीं… Read More »वंदना गुप्ता की रचनाएँ
लाज़िम है न्याय की सबसे ऊँची कुर्सियों पर बैठते हैं इसलिए माननीय हैं लेकिन आलोचना से परे कब हो गये? नीयत सही हो तो भरोसा… Read More »कुमार सौरभ की रचनाएँ
गर्मी के दिनों में गर्मी के दिनों में जंगल के बीचों बीच सुनसान सड़क पर एक विशाल पेड़ के पास ठहर कर सुना ज़ोरों से… Read More »कुमार सुरेश की रचनाएँ
प्यार पर बहुत हो चुकी कविताएँ प्यार पर बहुत हो चुकी कविताएँपिता की फटी बिवाइयों परअभी तक नहीं लिखी कविताएँजो रिश्ता ढूँढ़ते-ढूँढ़ते टूटने पर कसकते… Read More »वंदना केंगरानी की रचनाएँ
अउर का अक्सर देखता बाबा को चलते-चलते राह-डरार से बतियाते; कहीं करहा में, हरी दिख जाएँ दूबें, उन्हें छूते, हालचाल पूछते; लौटते बखत कवन-कवन तो… Read More »कुमार वीरेन्द्र की रचनाएँ