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वंदना गुप्ता

वंदना गुप्ता की रचनाएँ

क्योंकि तख्ता पलट यूँ ही नहीं हुआ करते  अब सिर्फ लिखने के लिए नहीं लिखना चाहती थक चुकी हूँ वो ही शब्दों के उलटफेर से… Read More »वंदना गुप्ता की रचनाएँ

वंदना गुप्ता की रचनाएँ

अघायी औरतें मर्दों के शहर की अघायी औरतें जब उतारू हो जाती हैं विद्रोह पर तो कर देती हैं तार-तार सारी लज्जा की बेड़ियों को… Read More »वंदना गुप्ता की रचनाएँ

वंदना गुप्ता की रचनाएँ

देखो आज मुझे मोहब्बत के हरकारे ने आवाज़ दी है  सोचती हूँ कभी कभी तुम जिसे मैंने देखा नहीं और मैं जिसे तुमने भी नहीं… Read More »वंदना गुप्ता की रचनाएँ