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Poetry

कुम्भनदास की रचनाएँ

भक्तन को कहा सीकरी सों काम  भक्तन को कहा सीकरी सों काम। आवत जात पन्हैया टूटी बिसरि गये हरि नाम॥ जाको मुख देखे अघ लागै… Read More »कुम्भनदास की रचनाएँ

वचनेश की रचनाएँ

पौडर लगाये अंग पौडर लगाये अंग गालों पर पिंक किये कठिन परखना है गोरी हैं कि काली हैं। क्रीम को चुपर चमकाये चेहरे हैं चारु,… Read More »वचनेश की रचनाएँ

कुमुद बंसल की रचनाएँ

हे विहंगिनी / भाग 1 1 मधुर स्वर, धुन है पहचानी हे विहंगिनी! तुझ-सा ही आनन्द पाएगा मेरा मन। 2 चिनार-वृक्ष, हिमरंजित वन, धरा-वक्ष पे… Read More »कुमुद बंसल की रचनाएँ

वंशी माहेश्वरी की रचनाएँ

रंग चढ़ते-उतरते हैं रंग रंग उतरते-चढ़ते हैं कितने ही रंग कर जाते हैं रंगीन जीवन मटमैला अदृश्य सीढ़ी हैं रंग आने-जाने वाले दृश्य के बाहर… Read More »वंशी माहेश्वरी की रचनाएँ

कुमारेंद्र पारसनाथ सिंह की रचनाएँ

वह नदी में नहा रही है वह नदी में नहा रही है नदी धूप में और धूप उसके जवान अँगों की मुस्‍कान मे चमक रही… Read More »कुमारेंद्र पारसनाथ सिंह की रचनाएँ

वंदना गुप्ता की रचनाएँ

क्योंकि तख्ता पलट यूँ ही नहीं हुआ करते  अब सिर्फ लिखने के लिए नहीं लिखना चाहती थक चुकी हूँ वो ही शब्दों के उलटफेर से… Read More »वंदना गुप्ता की रचनाएँ

कुमारेन्द्र सिंह सेंगर की रचनाएँ

रहस्य जीवन का जीवन रूपी रहस्य को मत खोज मानव, डूब जायेगा इसकी गहराई में। तुम से न जाने कितने डूब गये इसमें पर न… Read More »कुमारेन्द्र सिंह सेंगर की रचनाएँ

वंदना गुप्ता की रचनाएँ

अघायी औरतें मर्दों के शहर की अघायी औरतें जब उतारू हो जाती हैं विद्रोह पर तो कर देती हैं तार-तार सारी लज्जा की बेड़ियों को… Read More »वंदना गुप्ता की रचनाएँ

वंदना गुप्ता की रचनाएँ

देखो आज मुझे मोहब्बत के हरकारे ने आवाज़ दी है  सोचती हूँ कभी कभी तुम जिसे मैंने देखा नहीं और मैं जिसे तुमने भी नहीं… Read More »वंदना गुप्ता की रचनाएँ

कुमार सौरभ की रचनाएँ

लाज़िम है न्याय की सबसे ऊँची कुर्सियों पर बैठते हैं इसलिए माननीय हैं लेकिन आलोचना से परे कब हो गये? नीयत सही हो तो भरोसा… Read More »कुमार सौरभ की रचनाएँ