सत्य मोहन वर्मा की रचनाएँ
दधीचि पिता जब तक तुम्हारी ममतामयी काया थी मेरे सर पर वट – वृक्ष की छाया थी जिसके तले मैंने अपनापन, अवज्ञा और आक्रोश अत्यंत… Read More »सत्य मोहन वर्मा की रचनाएँ
दधीचि पिता जब तक तुम्हारी ममतामयी काया थी मेरे सर पर वट – वृक्ष की छाया थी जिसके तले मैंने अपनापन, अवज्ञा और आक्रोश अत्यंत… Read More »सत्य मोहन वर्मा की रचनाएँ
साग पकाया बंदर गया खेत में भाग, चुट्टर-मुट्टर तोड़ा साग। आग जला कर चट्टर-मट्टर, साग पकाया खद्दर-बद्दर। सापड़-सूपड़ खाया खूब, पोंछा मु हूँह उखाड़ कर… Read More »सत्य प्रकाश कुलश्रेष्ठ की रचनाएँ
समझ मन अवसर बित्यो जाय समझ मन अवसर बित्यो जाय | मानव तन सो अवसर फिर-फिर, मिलसी कहाँ बताय || हरी गुण गाले प्रभु को… Read More »शिवदीन राम जोशी की रचनाएँ
वो जुदा हो के रह न पाया है वो जुदा हो के रह न पाया है रूठकर खुद मुझे मनाया है ज़िंदगी धूप में कटी… Read More »सतीश शुक्ला ‘रक़ीब’ की रचनाएँ
न भूल सके इतने मो मन माहीं बसे मन मोहन,और बसी मन राधिका रानी, नन्द यशोमती कौन बिसारत, गुवालन की छबि नाहीं भुलानी | बृज… Read More »शिवदीन राम जोशी की रचनाएँ
कोऊ विधि मोहन का बन जाऊं कोउ विधि मोहन का बन जाऊँ । मोहन मेरा मैं मोहन का, प्रेम से गुण नित गाऊँ । प्रेम… Read More »शिवदीन राम जोशी की रचनाएँ
थक गया है दिल यहाँ रह-रह के बरबस थक गया है दिल यहाँ रह-रह के बरबस ढूँढने निकलेगा दुनिया फिर कोलंबस एक लेडी-साइकल और एक… Read More »सतीश बेदाग़ की रचनाएँ
रोशन हाथों की दस्तकें प्राची की सांझ और पश्चिम की रात इनकी वय:संधि का जश्न है आज मज़ारों पर चिराग बालने वाले हाथ (जो शायद… Read More »सतीश चौबे की रचनाएँ
ग़ज़लें अपने जीने को क्या पूछो सुब्ह भी गोया रात रही अपने जीने को क्या पूछो सुब्ह भी गोया रात रही तुम भी रूठे जग… Read More »सज्जाद बाक़र रिज़वी की रचनाएँ
ग़ज़लें महीनों तक तुम्हारे प्यार में इसको पकाया है महीनों तक तुम्हारे प्यार में इसको पकाया है। तभी जाके ग़ज़ल पर ये गुलाबी रंग आया… Read More »‘सज्जन’ धर्मेन्द्र की रचनाएँ