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आधुनिक काल

मख़दूम मोहिउद्दीन की रचनाएँ

आप की याद आती रही रात भर ‎ आप की याद आती रही रात भर चश्मे नम मुस्कुराती रही रात भर । रात भर दर्द… Read More »मख़दूम मोहिउद्दीन की रचनाएँ

मंजूषा मन की रचनाएँ

अम्मा का तेरवां ग्राम भोज कराना होगा, गौ दान देना होगा, अम्मा का तेरवां धूम-धाम से करना होगा, वरना अम्मा शांति न पायेगी भटकती फिरेगी… Read More »मंजूषा मन की रचनाएँ

मंजूर ‘हाशमी’ की रचनाएँ

बदन को ज़ख़्म करें ख़ाक को लबादा करें ‎ बदन को ज़ख़्म करें ख़ाक को लबादा करें जुनूँ की भूली हुई रस्म का इआदा करें… Read More »मंजूर ‘हाशमी’ की रचनाएँ

मंजुश्री गुप्ता की रचनाएँ

आत्मदीप काली अंधियारी रात भयंकर झंझावात ! वर्ष घनघोर प्रलयंकर पूछती हूँ प्रश्न मैं घबराकर है छुपा कहाँ आशा दिनकर? मन ही कहता क्यूँ भटके तू… Read More »मंजुश्री गुप्ता की रचनाएँ

मंजुला सक्सेना की रचनाएँ

मैं सपने देखती हू मैं सपने देखती हूँ इस जहाँ में कोई ऐसा छोर होगा जहाँ न भीड़ होगी और न ही शोर होगा ।… Read More »मंजुला सक्सेना की रचनाएँ

मंजुला वीर देव की रचनाएँ

कौन फूलों को किसने सिखलाया मधुर-मधुर मुस्काना? कोयल को किसने सिखलाया मीठा-मीठा गाना? कौन सूर्य को चमकाकर हरता जग का अंधियारा? कौन रात को भर… Read More »मंजुला वीर देव की रचनाएँ

मंजुल मयंक की रचनाएँ

रात ढलने लगी, चाँद बुझने लगा रात ढलने लगी, चाँद बुझने लगा, तुम न आए, सितारों को नींद आ गई । धूप की पालकी पर,… Read More »मंजुल मयंक की रचनाएँ

मंजरी श्रीवास्तव की रचनाएँ

कृष्णन के लिए प्रेम कविताएँ १. तुम्हारे साथ मैं अपने स्त्रीत्व के सर्वश्रेष्ठ रूप में होती हूँ हमारे सामीप्य और स्पर्श की मुखरता शब्दों की… Read More »मंजरी श्रीवास्तव की रचनाएँ

मंगलेश डबराल की रचनाएँ

अन्तराल हरा पहाड़ रात में सिरहाने खड़ा हो जाता है शिखरों से टकराती हुई तुम्हारी आवाज़ सीलन-भरी घाटी में गिरती है और बीतते दॄश्यों की… Read More »मंगलेश डबराल की रचनाएँ

मंगरूराम मिश्र की रचनाएँ

खिलौने वाला बाबूराम खिलौने वाला, नए खिलौने लाया लाला! चाहे ले लो गुड़िया-गुड्डा, चाहे ले लो बुढ़िया-बुड्ढा, चाहे ले लो बंदर काला! ले लो टाइप… Read More »मंगरूराम मिश्र की रचनाएँ