Skip to content

खिलौने वाला

बाबूराम खिलौने वाला,
नए खिलौने लाया लाला!
चाहे ले लो गुड़िया-गुड्डा,
चाहे ले लो बुढ़िया-बुड्ढा,
चाहे ले लो बंदर काला!

ले लो टाइप करती गुड़िया,
यह पूरी जादू की पुड़िया,
टाइप करती खूब फटाफट,
खतम करे सब काम चटापट,
करे नहीं कुछ गड़बड़ झाला!

ये गुब्बारे मित्र हमारे,
इनसे ब्रह्मा भी है हारे,
पल में जो चाहो बन जाते,
चोंच लगे, चिड़िया हो जाते,
बढ़ खोलें खुशियों का ताला!

चाहो तो यह फुग्गा ले लो,
मन चाहे तो सुग्गा ले लो,
चाहो मोटर गाड़ी ले लो,
तेज दौड़ने वाली ले लो,
हार्न लगा है पों-पों वाला।

मेढक की सैर

छाता ताने चला रात में, मेढक करने सैर,
बगुला भगत मिला जब उसको, लगा पूछने खैर।
बगुला बोला छाते से यह कैसी प्रीत लगाई,
तभी छींककर मेढक बोला-‘ओस पड़ रही भाई।’

चक्खन मियाँ

चक्खन मियाँ एक दिन घर में लगे पकाने खाना,
पहली बार जिंदगी में था चूल्हा पड़ा जलाना!
खर पतवार इकट्ठी करके फूँक जोर की मारी,
निकली लपट लपककर ऐसी जली मियाँ की दाढ़ी!

चक्खन मियाँ

चक्खन मियाँ

एक दिन घर में लगे पकाने खाना,
पहली बार जिंदगी में था चूल्हा पड़ा जलाना!
खर पतवार इकट्ठी करके फूँक जोर की मारी,
निकली लपट लपककर ऐसी जली मियाँ की दाढ़ी!

 

घोड़े की लात

जहाँ रोज बाँधा जाता था
चाचा जी का घोड़ा,
वहीं हमारे मामा जी का
छूट गया था कोड़ा!
मामा ने कोड़ा लेने को
ज्यों ही कमर झुकाई,
घोड़े जी ने मामा जी को
कस कर लात जमाई।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published.