राजेंद्र तिवारी ‘सूरज’की रचनाएँ
गलियाँ मै अपने गाँव की गलियों में बचपन ढूँढ लेता हूँ, मै अपने घर के दरवाज़ों में दर्पण ढूँढ लेता हूँ | मेरे लहज़ों में… Read More »राजेंद्र तिवारी ‘सूरज’की रचनाएँ
गलियाँ मै अपने गाँव की गलियों में बचपन ढूँढ लेता हूँ, मै अपने घर के दरवाज़ों में दर्पण ढूँढ लेता हूँ | मेरे लहज़ों में… Read More »राजेंद्र तिवारी ‘सूरज’की रचनाएँ
सोचना ही फ़ज़ूल है शायद सोचना ही फ़ज़ूल है शायद ज़िन्दगी एक भूल है शायद हर नज़ारा दिखाई दे धुँधला मेरी आँखों पे धूल है… Read More »राजेन्द्र टोकी की रचनाएँ
डल से लोहित तक ये बादल डल से लोहित तक ये बादल ख़बरें ही बरसाते । रोज़ विमानों से गिरतीं हैं रोटी की अफ़वाहें किन्तु… Read More »राजेन्द्र गौतम की रचनाएँ
आईना-द्रोह (लम्बी कविता) राजनीति जब कर्म नहीं, कर्मकांड हो तो क्यों न उसके ‘तांत्रिक’ भी हों! भूमंडलीकृत कर्मकांड के ये ‘जन-तांत्रिक’ हैं, जो अपने-अपने अनुष्ठानों… Read More »राजेन्द्र कुमार की रचनाएँ
सूरज सुबह-सुबह जब उगता सूरज, लाल गेंद-सा लगता सूरज। दोपहरी में थाली जैसा, चमचम चमका करता सूरज। लाल टमाटर-सा हो जाता, शाम ढले जब ढलता… Read More »राजेंद्र ‘मिलन’ की रचनाएँ
विस्मृति बूँद की बड़ी-सी परछाईं उस छाया में चिपके तिनके आर-पार लड़खड़ाता भूरा दरवाजा रुक गया सिरे पर भूरे तने वाले बरसते छाते से कुछ… Read More »राजुला शाह की रचनाएँ
पाँच क्षणिकाएँ १ वैसे तो मै अश्लील कहानी वाली पुस्तक हूँ पर तुम जब जब मुझको छूती हो, मै गीता हो जाता हूँ । २… Read More »राजुल मेहरोत्रा की रचनाएँ
पत्थर फूल खिलाने की आशा में मैं पत्थरों को सींचता रहा। पत्थर पर कब फूल खिले हैं, जो अब खिलता। उसे क्या पता जिस पानी… Read More »राजीव रंजन की रचनाएँ
तुम कौन थे भगत सिंह मकड़ियों ने हर कोने को सिल दिया है उलटे लटके चमगादड़ देख रहें हैं कैसे सिर के बल चलता आदमी… Read More »राजीव रंजन प्रसाद की रचनाएँ
मुहब्बत का कभी इज़हार करना ही नहीं आया मुहब्बत का कभी इज़हार करना ही नहीं आया, मेरी कश्ती को दरिया पार करना ही नहीं आया.… Read More »राजीव भरोल ‘राज़’की रचनाएँ